भारत
ये मुगल शासक रोजोना पीता था गंगाजल, इसे मानता था स्वर्ग का पानी, अबुल फजल ने अपनी किताब में किया इसका जिक्र
Renuka Sahu
12 Nov 2021 4:58 AM GMT
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फाइल फोटो
भारत में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है. सदियों से इसके जल को अमृत से कम नहीं समझा जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है. सदियों से इसके जल को अमृत से कम नहीं समझा जाता है. मान्यता है कि गंगा नदी में नहाने भर से इंसान के सारे पाप धुल जाते हैं. वहीं, इसका पानी पीने से इंसान की कई बीमारियों का खात्मा हो जाता है. हिंदू धर्म में तो गंगा का महत्व है ही लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अन्य धर्मों के लोग भी गंगा नदी को बेहद सम्मान के साथ देखते हैं. यहां तक कि मुगल शासक भी गंगा नदी के जल को बेहद पवित्र मानते थे. आज हम आपको ऐसे ही एक मुगल शासक के बारे में बताने जा रहे हैं, जो गंगा जल ही पीता था.
किया था घुड़सवारों को तैनात
वो मुगल शासक कोई और नहीं, बल्कि अकबर था. अबुल फजल ने अपनी किताब 'आइन-ए-अक़बरी' में इस बात का जिक्र किया है. अकबर अपने पीने के लिए गंगाजल का ही इस्तेमाल करता था. जब वो आगरा और फतेहपुर सीकरी में रहता था तो उसके पीने के लिए उत्तर प्रदेश के सोरों से गंगाजल लाया जाता था. वहीं, जब अकबर ने लाहौर को राजधानी बनाया, तो उसके लिए पानी हरिद्वार से आने लगा. ऋषिकेश और हरिद्वार से दिल्ली और आगरा में गंगाजल लाने के लिए अकबर ने कई घुड़सवारों को तैनात किया था.
हमेशा पीता था केवल गंगाजल
मशहूर इतिहासकार डॉ. राम नाथ ने अपनी किताब 'प्राइवेट लाइफ ऑफ मुगल्स' में कहा है कि अकबर चाहे घर पर हो या यात्रा में, वो गंगाजल ही पीता था. इसके लिये गंगा नदी के किनारे कुछ भरोसेमंद लोग तैनात थे, जो हर रोज सीलबंद जार में पानी भेजते थे. ऐसा शायद इसलिए किया जाता था कि कोई पानी में जहर न मिला दे.
गंगाजल को मानते थे स्वर्ग का पानी
इतना ही नहीं अकबर का खाना पकाने के लिये यमुना और चेनाब नदी के पानी का इस्तेमाल किया जाता था. उसमें भी गंगाजल जरूर मिलाया जाता था. बता दें, सिर्फ अकबर ही नहीं, बल्कि उसके पहले बाबर और हुमायूं को भी गंगाजल ही पसंद था. उन्होंने इसे आब-ए-हयात यानी स्वर्ग का पानी माना था.
ये भी बताई जाती है वजह
कुछ लोग मानते हैं कि मुगल शासकों के ऐसा करने के पीछे कुछ और वजह थी. दरअसल, गंगाजल को लंबे समय तक के लिये स्टोर किया जा सकता है. क्योंकि उसमें बैक्टीरिया भी नहीं पनपते थे. जब अकबर ने इसे रोजाना पीना शुरू कर दिया, तो आम लोगों के बीच भी इसकी पॉपुलरटी बढ़ गई.
गौरतलब है कि गंगाजल के पवित्र होने को लेकर केवल भारतीयों की मान्यताएं ही नहीं है, बल्कि लैब टेस्ट में ये साबित भी हुआ है. गंगा के पानी में कई ऐसे तत्व और मिनरल्स हैं, जिनकी वजह से ये खराब नहीं होता है.
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