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12 सालों से पेंडिंग था जमीन का ये मामला, जिलाधिकारी ने बिठाई जांच समिति

Nilmani Pal
14 July 2022 1:00 AM GMT
12 सालों से पेंडिंग था जमीन का ये मामला, जिलाधिकारी ने बिठाई जांच समिति
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सांकेतिक तस्वीर 

यूपी। सन 1947 में बंटवारे के समय उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से पाकिस्तान जाकर बस गए तीन भाइयों की सम्पत्ति को वर्ष 2010 में ही भारत की शत्रु सम्पत्ति घोषित कर दिया गया था. आदेश के बारह साल बीत जाने के बावजूद शत्रु की सम्पत्ति को भारत शत्रु सम्पत्ति कस्टोडियन के नाम से खतौनी में दर्ज नहीं किया गया. मामला डीएम के संज्ञान में आने के 24 घंटे के भीतर ही इनकी सम्पत्ति को भारत शत्रु कस्टोडियन के नाम से खतौनी में नाम दर्ज करा दिया गया. यही नहीं जिलाधिकारी ने इस मामले को अधर में लटकाए जाने को लेकर जांच कर कार्रवाई की बात कही है. उक्त सम्पत्ति की कीमत एक करोड़ पचासी लाख रुपये आंकी गई है.

सलेमपुर तहसील के मझौली राज के ग्राम चक मुकाम अली के रहने वाले अब्दुल हमीद के बेटे मोहम्मद ताहिर, मोहम्मद यासीन और ताज मोहम्मद 1947 में विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे. इन तीनों भाइयों के नाम सम्मिलित रूप से गाटा संख्या 16,73 व 114 में कुल 1.721 हेक्टेयर भूमि दर्ज थी.

शत्रु सम्पत्ति अधिनियम 1968 की धारा 5 व 24 के अंतर्गत ऐसी सम्पत्ति शत्रु सम्पत्ति मानी जाती है और उसे भारत के शत्रु सम्पत्ति कस्टोडियन में रखने का कानूनी प्राविधान है. इस सम्बंध में भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी फ़ॉर इंडिया ने 20 अक्टूबर 2010 को को मुख्य राजस्व अधिकारी देवरिया को इनकी भू-सम्पत्तियों का नामांतरण अपने नाम कराने का आदेश दिया था बावजूद 12 वर्षों से यह मामला अधर में लटका रहा.

भारत शत्रु सम्पत्ति कस्टोडियन विभाग मुम्बई के सर्वेयर दिव्य प्रकाश पाण्डेय द्वारा देवरिया पंहुचकर 12 जुलाई 2022 को देवरिया जिलाधिकारी के संज्ञान में यह मामला लाया गया तो 24 घंटे के भीतर ही शत्रु की सम्पत्ति को भारत शत्रु सम्पत्ति कस्टोडियन के नाम से खतौनी में दर्ज करा दिया गया. देवरिया DM जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 12 वर्षो से शत्रु सम्पत्ति के नामांतरण प्रकरण का लंबित रहना घोर लापरवाही को दर्शाता है. इस पूरे प्रकरण की जांच कराकर जवाबदेही तय कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

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