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राकेश टिकैत को बताया तालिबान, इस किसान नेता का देखें वीडियो
jantaserishta.com
27 Sep 2021 9:41 AM GMT
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नई दिल्ली: केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान यूनियनों द्वारा बुलाए गए आज के भारत बंद को लेकर भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पर निशाना साधते हुए बंद को तालिबानी कदम बताया है।
भानु प्रताप ने कहा कि राकेश टिकैत खुद को 'किसान नेता' कहते हैं और फिर भारत बंद की घोषणा करते हैं, जो अर्थव्यवस्था और किसानों को प्रभावित करता है। इससे किसी का भला भी कैसे होता है? वे इसी तरह की गतिविधियों को जारी रखते हुए तालिबान के नक्शे कदम पर चलना चाहते हैं..."।
उन्होंने कहा कि मैं भारतीय किसान यूनियन के ब्लॉक, जिला, मंडल और प्रदेश के सभी पदाधिकारियों का आह्वान करता हूं कि भारत बंद का कोई सहयोग ना करे और इसका विरोध करें। ऐसे संगठन जो आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं उनको सरकार दबाने की कोशिश करें।
यह कोई पहली बार नहीं है जब उन्होंने टिकैत पर हमला बोला है। इससे पूर्व भी कई बार वह इस तरह के बयान दे चुके हैं। इसी साल मार्च महीने में कि भानू प्रताप ने कहा था कि सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे संगठन कांग्रेस के खरीदे हुए और कांग्रेस के भेजे हुए थे। कांग्रेस इनको फंडिंग कर रही थी। इस बात का पता हमें 26 जनवरी को ही चल गया था। जब हमें मालूम पड़ा कि इन्होंने 26 जनवरी को पुलिस पर हमला किया और लाल किले पर दूसरा झंडा फहराया है। उसी दिन हमने अपना समर्थन वापस ले लिया और यह संकल्प लिया कि हम इनके साथ नहीं रहेंगे और हम आंदोलन खत्म कर वापस चले आए।
बता दें कि, 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान आईटीओ और लालकिले पर हुई हिंसा में 500 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए थे और बड़ी संख्या में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। इस घटना के बाद चिल्ला बॉर्डर पर डटा भाकियू भानू गुट अपना आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर वापस लौट गया था।
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए बीते 3 महीनों से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।
#WATCH | "...They (Rakesh Tikait) call themselves 'kisan neta & then announce Bharat Bandh, which affects economy & farmers. How does it even benefit anyone? They want to follow in footsteps of Taliban by continuing similar activities...": Bhanu Pratap Singh, BKU-BHANU President pic.twitter.com/WQri1UMAH4
— ANI (@ANI) September 27, 2021
किसान इन तीनों नए कृषि कानूनों - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार इन तीनों नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।
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