दिल्ली: सरकार ने कहा कि भारत ने व्यापारियों, खुदरा विक्रेताओं और खाद्य प्रोसेसरों से जमाखोरी और कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए नए वित्त वर्ष अप्रैल से हर शुक्रवार को गेहूं के स्टॉक की घोषणा करने को कहा है.
चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उपभोक्ता भारत लगातार दो वर्षों से भीषण गर्मी और मौसम की मार के कारण उत्पादन में कमी आने के बाद गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है जिससे सरकार को घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए रिकॉर्ड मात्रा में गेहूं बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
कीमतों में नियंत्रण के लिए लिया गया फैसला
सरकार ने अपने एक बयान में कहा कि कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने व्यापारियों द्वारा स्टॉक किए जाने वाले गेहूं की सीमा तय कर दी थी हालांकि इस सीमा की डेडलाइन 31 मार्च को खत्म होने वाली है. उसके बाद व्यापारियों को अपने गेहूं के स्टॉक की घोषणा करनी होगी.
इसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करना और और जमाखोरी और कीमतों में असीमित वृद्धि को नियंत्रित करना है. एक व्यापारी ने कहा कि गेहूं की खरीद बढ़ाकर सरकार अपने खाली भंडार को भरना चाहती है और प्रभावी ढंग से इसे करने के लिए वे गेहूं की निजी खरीद की निगरानी करना चाहते हैं.
गेहूं के स्टॉक में कमी
उन्होंने कहा, 'अगर जरूरत पड़ी तो सरकार खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिए फिर से स्टॉक सीमा लागू कर सकती है.' इस महीने की शुरुआत में सरकारी गोदामों में खाद्य योग्य गेहूं का भंडार घटकर 9.7 मिलियन मीट्रिक टन रह गया, जो साल 2017 के बाद से सबसे कम है. 2023 में सरकार ने स्थानीय किसानों से 26.2 मिलियन टन गेहूं खरीदा, जबकि उसका लक्ष्य 34.15 मिलियन टन था.