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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में ये फैसला, राम भक्तों के लिए बड़ी खबर

jantaserishta.com
20 April 2022 3:08 AM GMT
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में ये फैसला, राम भक्तों के लिए बड़ी खबर
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अयोध्या: पिछले 70 सालों से श्रीराम जन्मभूमि परिसर में स्थापित जिन मूर्तियों की पूजा अर्चना करते लोग चले आ रहे हैं, उन मूर्तियों को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित नहीं किया जाएगा. राम की कितनी बड़ी और किस पत्थर से निर्मित मूर्ति स्थापित की जानी है? इसके बारे में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट देशभर के संतो से राय लेगा.

अभी तक जिन मूर्तियों की पूजा अर्चना हो रही है, उन्हें प्राण प्रतिष्ठित करने के बजाए उत्सव मूर्तियों का दर्जा मिलेगा, जिन्हें उसी मंदिर में स्थापित तो किया जाएगा लेकिन उन मूर्तियों को जीवंत नहीं माना जाएगा. इसके साथ ही श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के साथ-साथ महर्षि बाल्मीकि, माता शबरी, निषादराज जटायू, गणेश जी और माता सीता के मंदिर भी अगल-बगल ही बनाए जाएंगे.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और श्रीराम मंदिर निर्माण समिति की बैठक में बड़े फैसले लिए गए हैं. सबसे बड़ा फैसला यह कि पिछले 70 वर्षों से राम की जिन मूर्तियों की पूजा अर्चना लोग करते आ रहे हैं, उन मूर्तियों को भव्य और दिव्य रूप को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित नहीं किया जाएगा.
राम की इन मूर्तियों के बारे में साधु संत और मंदिर-मस्जिद विवाद के दौरान कोर्ट में अधिवक्ता यही बताते हैं कि यह मूर्ति प्रकट हुई है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय कहते हैं कि जिन मूर्तियों की अब तक लोग पूजा करते आए हैं उन्हें प्राण प्रतिष्ठित नहीं किया जाएगा, यह उत्सव मूर्तियां होंगी, जिन्हें कहीं भी लाया और ले जाया जा सकेगा.
चंपत राय ने बताया कि निर्माणाधीन मंदिर में राम की कितनी बड़ी और किस पत्थर से निर्मित मूर्ति लगेगी? इसके बारे में संतों से राय ली जाएगी. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि जो भी मूर्ति लगेगी वह श्री राम के बाल रूप की होगी.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, 'मंदिरों का संचालन करने वाले सभी लोग जानते हैं कि एक मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति होती है, वह अचल मूर्ति होती है, स्थिर रहती है, उसे हटाया नहीं जा सकता, वह आकृति में बड़ी भी रहती है, दूसरी प्रतिमाएं चल प्रतिमा होती है, उन्हें उत्सव मूर्ति भी कह सकते हैं.'
चंपत राय ने कहा, 'किसी पूजा उपासना में उनको ग्रुप से बाहर निकाल कर ले आया जाता है, इसलिए 70 साल से जिन प्रतिमाओं का जिन विग्रह का समाज पूजन कर रहा है वह उत्सव मूर्तियों का रूप ग्रहण करती है. आप बड़े मंदिर में किसी देखने जाइए प्रतिष्ठित मूर्तियां और उत्सव मूर्तियां एक साथ रहती है, एक ही सिंहासन पर.'
श्रीराम मंदिर के अलावा वहां पर समरसता के समाज पर आधारित महर्षि बाल्मीकि, माता शबरी, निषाद राज, सीता का संदेश देने वाले और रावण को रोकने के प्रयास में जान देने वाले जटायु और माता-सीता के साथ गणेशजी का भी मंदिर होगा. श्रीराम मंदिर ट्रस्ट की मीटिंग में इस पर विचार ही नहीं हुआ है बल्कि सहमति भी हो गई है.
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