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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | डायबिटीज (Diabetes) के नियंत्रण में आयुर्वेदिक दवाओं पर शोध सीमित हैं. जिसके चलते डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल भी काफी कम किया जाता है. लेकिन हाल ही में एक रिसर्च हुई है, जिसमें डायबिटीज के इलाज़ के लिए आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic Medicine) बीजीआर-34 (BGR-34) को उपयोगी पाया गया है. इस दवा का मरीजोंं पर काफी अच्छा प्रभाव देखा गया है. यह भी पाया कि बीजीआर-34 न सिर्फ डायबिटीज के मरीजों में शुगर का लेवल (Sugar level) कम करती है बल्कि पैंक्रिया में बीटा सेल के फंक्शन को भी बेहतर करती है. बीजीआर-34 दवा को औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की लखनऊ स्थित दो लैब में बनाया गया है.
पंजाब (Punjab) की चितकारा यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ फार्मेसी के शोधकर्ता रवीन्द्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने डायबिटीज से पीड़ित 9 मरीजों पर चौथे चरण के क्लिनिकल ट्रायल किए हैं. इस ट्रायल में मरीजों को दो ग्रुप में रखा गया और डबल ब्लाइंड ट्रायल किए गए. यानी, बिना जानकारी के कुछ मरीजों को सीटाग्लिप्टिन तथा कुछ को बीजीआर-34 दी गई. इसके बाद कुछ दिन तक निगरानी के बाद जब परिणाम सामने आए, तो पता चला कि डायबिटीज के इलाज़ में बीजीआर-34 दवा काफी असरदार है. पहले नतीजे में ग्लाइकेटेड हेमोग्लोबिन (एचबीए1सी) के बेसलाइन में गिरावट देखी गई है. जो चिकित्सीय तौर पर काफी अच्छा माना जाता है. वहीं रेंडम शुगर जांच में भी बीजीआर-34 दवा का असर पाया गया. मरीजों पर की गई ट्रायल की रिसर्च को सर्बियन जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल एंड क्लिनिक रिसर्च (Serbian Journal of Experimental and Clinical Research) में प्रकाशित किया गया है. सीएसआईआर की लैब में बनी इस दवा को एमिल फार्मास्युटिकल ने बाजार में उतारा है.
दवा से शुगल लेवल हुआ कम
मरीजों पर इस दवा का ट्रायल करते समय रोगियों में एचबीए1सी की बेसलाइन वेल्यू 8.499 फीसदी थी, लेकिन बीजीआर-34 लेने वाले मरीजों में चार सप्ताह के बाद यह कम होकर 8.061 रह गई. फिर आठ सप्ताह बाद 6.56 और 12 सप्ताह बाद 6.27 फीसदी पर आ गई. यह वही परीक्षण है जिसमें तीन माह के दौरान शुगर के स्तर का पता चलता है. रेंडम शुगर जांच में भी दवा का असर देखा गया. दवा लेने से पूर्व मरीजों का शुगर का औसत लेवल 250 था. चार सप्ताह के बाद यह 243, आठ सप्ताह के बाद 217 तथा 12 सप्ताह के बाद 114 रह गया. इन मरीजों की खाली पेट भी शुगर की जांच की गई. इसमें भी पाया गया कि दवा शुरू करने से पूर्व मरीजों में शुगर लेवल 176 था, जो चार सप्ताह के बाद 173, आठ सप्ताह में 141 और 12 सप्ताह के बाद 74 दर्ज किया गया. मरीजों पर इस दवा के ट्रायल के नतीजों से यह साफ हो गया कि डायबिटीज के रोगियों में यह दवा शुगर को कंट्रोल करने में काफी फायदेमंद है.
ये होते हैं डायबिटीज के लक्षण
ज्यादा भूख लगना
बार-बार पेशाब आना
थकावट
वजन कम होना
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