सोना-चांदी नहीं सिर्फ जजों के कपड़े चुराता है चोर, कर्मचारियों ने जाल बिछाकर पकड़ा
महाराष्ट्र। वो एक कमाल का चोर (Thief) है. महाराष्ट्र के कोल्हापुर (Kolhapur) में रहता है. वो सोना-चांदी पर हाथ साफ नहीं करता है. ना ही उसे चाहिए करारे-करारे नोट और रोकड़े. वो उड़ाता है न्यायाधीशों (Judge) के कपड़े. उसकी इस हट- के चोरी से पूरा कोल्हापुर हैरान था. यह सोच-सोच कर परेशान था कि वो आखिर चाहता क्या है? आखिर कपड़े और वो भी जजों के ही कपड़े क्यों चुराता है? वो भी एकाध बार चुराता तो बात आई-गई हो जाती. वह बार-बार इनके कपड़े चुरा रहा था. जजों ने परेशान होकर सारा प्रशासन, पुलिस और सारा तामझाम लगाया. आखिर में जजों के कर्मचारियों ने ही इस सनकी चोर को पकड़ कर दिखाया. बाद में चोर को पुलिस को सौंप दिया गया. पुलिस ने इस चोर को कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने इस सरफिरे चोर को तीन दिन की कस्टडी में भेज दिया.
कोल्हापुर जिले के भुदगढ़ तालुका के गारगोटी में ज्युडिशियल मजिस्ट्रेड का कोर्ट है. कोर्ट के ही परिसर में न्यायाधीशों के निवास की सुविधाएं हैं. इन क्वार्टरों में वे अपने परिवारों के साथ रहते हैं. ऐसे में इनके और इनके परिवार से जुड़े सदस्यों के कपड़े धुलाई होने के बाद परिसर में सूखने के लिए डाले जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से हो यह रहा था कि धूप में सूखने के लिए डाले गए कपड़े अचानक गायब हो जा रहे थे. कपड़ों की यह चोरी बार-बार हो रही थी. अंत में हार कर जजों ने चोर को पकड़ने के लिए जाल बिछाया. सारी तिकड़में लगाई और पूरा महकमा लगाया.
न्यायाधीशों के आदेश पर उनके कर्मचारी चोर को पकड़ने का महाचक्रव्यूह तैयार करने में जुट गए. सिरफिरा चोर अपनी मस्ती में अगली बार की चोरी की योजनाएं बना रहा था. उसे इसकी कोई खबर नहीं थी कि उसे पकड़ने के लिए एक मजबूत जाल बुना जा रहा था. इसके बाद एक बार फिर वो हर बार की तरह परिसर में कपड़े चुराने आया. यानी घात लगाए बैठे शिकारियों के जाल में शिकार खुद चल कर आया. कर्मचारियों ने फौरन उसे दबोच लिया. इसके बाद चोर को पुलिस स्टेशन में ले जाया गया. पुलिस भी हिंदी फिल्मों की तरह क्लाइमैक्स हो जाने के बाद फौरन हरकत में आई. मामला दर्ज किया गया. चोर को कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उसे तीन दिनों की कस्टडी में भेज दिया. सवाल अब तक कायम था, वो कपड़े ही क्यों चुराता था? चोर द्वारा कपड़े चुराने की घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है. चोर का नाम सुशांत चव्हाण है. इस बीच इस सवाल का जवाब ढूंढा जा रहा है कि चोर आखिर सोने-चांदी-आभूषण पर हाथ क्यों नहीं आजमाता था? वह जजों के कपड़े ही क्यों चुराता था? इस विचित्र चोरी के पीछे मकसद क्या था? यह अब तक ना जजों को पता है, ना पुलिस को पता है, इसका राज फिलहाल चोर के सीने में ही दबा है.