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इन दो नेताओं को मिला सिसोदिया-सत्येंद्र का विभाग

Shantanu Roy
1 March 2023 4:10 PM GMT
इन दो नेताओं को मिला सिसोदिया-सत्येंद्र का विभाग
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न्यूज़ क्रेडिट: आज तक

बड़ी खबर
नई दिल्ली। दिल्ली की राजनीति में इस समय सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. आम आदमी पार्टी अपने सबड़े बड़े सियासी झटके से उबरने की कोशिश कर रही है. मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी हो चुकी है, डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा हो चुका है, सत्येंद्र जैन ने भी अपना पद छोड़ दिया है, यानी कि चुनौतियां बड़ी हैं, इनकी जगह को भरना मुश्किल है. इस कमी को पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार के कैबिनेट में दो नए चेहरों को शामिल किया जा रहा है- आतिशी और सौरभ भारद्वाज. पार्टी में लंबे समय से सक्रिय हैं.
लेकिन राजनीतिक रूप से अब अलग जिम्मेदारियां निभाने वाले हैं. सवाल ये उठता है कि क्या मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जैसे कद्दावर नेताओं की कमी को आतिशी और सौरभ भारद्वाज पूरा कर सकते हैं? पार्टी ऐसी उम्मीद जरूर करती है, लेकिन इसका ज्यादा सटीक जवाब इन दो नेताओं का SWOT कर जाना जा सकता है. SWOT यानी कि Strength, Weakness, Opportunity, Threat. इस समय आम आदमी पार्टी के लिए ये SWOT उनके कई सवालों का जवाब ढूंढ सकता है.
सौरभ भारद्वाज
आम आदमी पार्टी का युवा चेहरा हैं, दिल्ली जल बोर्ड के वाइस चेयरमेन रहे हैं. दिल्ली विधानसभा में कई कमेटियों को हेड भी कर रखा है. मीडिया के बीच भी अच्छी उपस्थिति है, प्रवक्ता के तौर पर पार्टी का स्टैंड हर बार मजबूती से रखा है. जमीन से जुड़े नेता वाली छवि लोगों के बीच में बनी हुई है.
संगठन में इतने मजबूत नहीं हैं. कार्यकर्ताओं के साथ ज्यादा संवाद नहीं रहता है. विवादों से भी पुराना नाता रहा है, बयान भी चर्चा का विषय बन जाते हैं. नौकरी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए, ऐसे में राजनीतिक ज्ञान ज्यादा नहीं है, अनुभव की कमी है.
मंत्री के तौर पर अपनी छाप छोड़ने का एक बड़ा मौका मिला है. दो बड़े मंत्रियों का इस्तीफा हुआ है, ऐसे में सौरभ के पास बड़े मंत्रालय आ सकते हैं. सीएम अरविंद केजरीवाल का सबसे भरोसेमंद बनने का भी अच्छा मौका दिखाई पड़ता है.
मंत्री जेल में हैं, लेकिन कब बाहर आ जाएं, किसी को नहीं पता. ऐसे में अच्छा प्रदर्शन करने का प्रेशर हमेशा रहने वाला है. पद हाथ से निकलने का डर भी मन में बना रह सकता है.
आतिशी
युवा चेहरा जो मनीष सिसोदिया की भरोसेमंद रहीं. दिल्ली में शिक्षा की जितनी भी नीतिया हैं, उसमें आतिशी का बड़ा योगदान रहा है. अधिकारियों के साथ भी उनके अच्छे रिश्ते हैं, सिसोदिया की वजह से कई अहम बैठकों का भी हिस्सा रही हैं. पहली बार विधायक हैं, ऐसे में कोई राजनीतिक दबाव नहीं है.
बतौर राजनेता, झोली में कोई बड़ी जीत नहीं है. लोकसभा चुनाव हार चुकी हैं, एमसीडी में हार का सामना करना पड़ा है. अनुभव की कमी उनकी बड़ी कमजोरी बन सकती है.
शिक्षा के क्षेत्र में पहले से ही काफी काम कर चुकी हैं, ऐसे में अच्छा काम करेंगी, इसकी ज्यादा उम्मीद है. सिसोदिया का अच्छा विकल्प भी बन सकती हैं. सिसोदिया के साथ लगातार काम किया है, ऐसे में उनके करीबियों का आतिशी को भी सहयोग मिलेगा जिससे काम करना आसान रहेगा. शिक्षा के अलावा दूसरे विभागों में भी अपने काम से विश्वास जीत सकती हैं.
शिक्षा के अलावा किसी दूसरे विभाग में काम करने का अनुभव नहीं है. अगर जेल गए मंत्री बाहर आ गए तो उनका कार्यकाल भी छोटा रह जाएगा. ऐसे में कम समय में ज्यादा काम करने का प्रेशर बना रहेगा.
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