भारत के इन रेलवे स्टेशनों का नहीं है नाम, इस तरह से यात्री करते हैं यहां पर सफर
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत में ऐसे 2 स्टेशन्स हैं, जिनका कोई नाम नहीं है। एक पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के बांकुरा - मैसग्राम रेलखंड पर स्थित है, तो दूसरा झारखंड के रांची-टोरी रेलखंड के पास है। इन दोनों स्टेशनों को क्यों अब तक कोई भी नाम नहीं मिल पाया है। इसके पीछे की कहानी काफी रोचक है।
पश्चिम बंगाल के बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर स्थित इस बिना नाम वाले स्टेशन को साल 2008 में बनाया गया था। स्टेशन को निर्मित करने के बाद उसका नाम रैनागढ़ रखा गया। हालांकि इस नाम को लेकर गांव के कई लोगों ने आपत्ति जताई और उन्होंने इसकी शिकायत कर दी। तब से इस स्टेशन के नाम को लेकर विवाद चल रहा है। यही एक बड़ी वजह है जिसके चलते अब तक रेलवे स्टेशन को कोई नाम नहीं मिला है।
वहीं दूसरी तरफ झारखंड के रांची से जब टोरी वाली लाइन पर जाते हैं तो बीच में एक ऐसा स्टेशन आता है, जिसका कोई नाम नहीं है। इस स्टेशन के बिना नाम के होने के पीछे भी एक बहुत ही रोचक किस्सा है। साल 2011 में जब इस रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के परिचालन की शुरुआत की गई। उस दौरान इसका नाम बड़की चांपी रखा गया था।
इस नाम को लेकर वहां के स्थानीय लोगों ने विरोध करते हुए कहा कि उन लोगों ने इस स्टेशन को बनाने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। इस वजह से इसका नाम कमले होना चाहिए। तब से अब तक इस स्टेशन का कोई नाम नहीं है। रिपोर्ट की मानें तो रेलवे स्टेशन के आधिकारिक रजिस्टर में इस स्टेशन का नाम बड़की चांपी ही रखा गया है।
हालांकि गांव के लोगों में इसको लेकर काफी मतभेद है। इसी वजह से रेलवे स्टेशन पर कोई साइन बोर्ड नहीं है, जो उस स्टेशन का नाम बताता हो। यहां पर आने जाने वाले यात्री इसी स्टेशन पर चढ़ते हैं और उतरते भी यहीं पर हैं।