भारत

कोरोना काल से मचा हाहाकार, इनके आए अच्छे दिन, बढ़ी मांग

jantaserishta.com
29 April 2021 10:50 AM GMT
कोरोना काल से मचा हाहाकार, इनके आए अच्छे दिन, बढ़ी मांग
x

कोरोना के लक्षणों में गले में खराश, खांसी, नजला भी शामिल है. ऐसे में लोग इन दिनों ठंडी खाने-पीने की चीजों से परहेज कर रहे हैं. गर्मियों का मौसम होने की वजह से आम तौर पर इन दिनों फ्रिज का ठंडा पानी पीना पसंद किया जाता था. खासकर शहरों में ये बात देखी जाती थी. लेकिन कोरोना के खौफ की वजह से अब शहर के लोगों ने भी पीने के पानी के लिए मिट्टी के बने मटकों, सुराहियों की ओर लौटना शुरू कर दिया है. इसका सबूत है मेरठ में मटकों की मांग का काफी बढ़ जाना.

पारंपरिक साधनों की और लौट रहे लोग
मिट्टी के मटकों की डिमांड बढ़ने से कुम्हारों का काम बढ़ गया है. साथ ही इन्हें बेचने वाले भी उत्साहित हैं. कोरोना की दस्तक से पहले कुम्हारों की शिकायत रहती थी कि फ्रिज का चलन बढ़ने की वजह से शहरों में मिट्टी के मटकों को कोई नहीं पूछता. लेकिन अब स्थिति दूसरी नजर आ रही है. मेरठ के बाजार में 50 रुपए से लेकर 1000-1200 रुपए तक के मटके उपलब्ध हैं. यहां लोकल बने माल के साथ गुजराती, राजस्थानी और दिल्ली के मटके भी उपलब्ध हैं. इन मटको में मिट्टी और बनावट का फर्क होता है. अब टोंटी वाले मटके भी उपलब्ध हैं. जैसे वाटर डिस्पेंसर्स से पानी निकाला जाता है, वैसे ही इन मटकों से भी निकाला जा सकता है.
लोग अब बाजार में अपने हिसाब से मिट्टी के मटके खरीद रहे हैं. मटका खरीदने आए ग्राहक विकास ने कहा, "डॉक्टर भी यह राय दे रहे हैं कि फ्रिज का ठंडा पानी या बर्फ का ठंडा पानी नुकसान कर रहा है इसलिए वे मटके जैसे पारंपरिक साधन को अपना रहे हैं."
मिट्टी के मटकों के 'अच्छे दिन'आए
लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज, मेरठ के प्रिंसिपल डॉ ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि अगर आपके गले में पहले से खराश है, और आप फ्रिज या बर्फ का ठंडा पानी पीते हैं तो ये गले को और खराब करेगा. वहीं मिट्टी के मटके का पानी नॉर्मल टेम्परेचर का होता है जो नुकसान नहीं देगा. हां ये जरूर है कि मटके की लगातार सफाई होना जरूरी है. मिट्टी के मटके बेचने वाले स्वराज सिंह प्रजापति कहते हैं कि इस साल गर्मियों में जितनी मटकों की मांग देखी जा रही है, ऐसे हाल फिलहाल के वर्षों में पहले कभी नहीं देखे गए.
पिछले साल भी गर्मी के सारे महीने लॉक़डाउन में बीत जाने की वजह से मटकों की बिक्री ने ऐसी तेजी नहीं पकड़ी थी जैसे कि इस साल देखी जा रही है. इस साल कोरोना की दूसरी लहर जैसा प्रकोप दिखा रही है, उसे देखते हुए हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर अधिक सचेत हैं.
jantaserishta.com

jantaserishta.com

    Next Story