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सुप्रीम कोर्ट में दर्जन भर राज्यों से एक भी जज नहीं, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में सिर्फ एक न्यायधीश की कमी

jantaserishta.com
6 Dec 2021 6:13 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट में दर्जन भर राज्यों से एक भी जज नहीं, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में सिर्फ एक न्यायधीश की कमी
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नई दिल्ली: इस समय देश भर के हाइकोर्ट्स में भले जजों की कमी का ग्राफ स्वीकृत संख्या के मुकाबले काफी कम हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट में अभी सिर्फ एक ही जज की कमी है. यानी स्वीकृत संख्या 34 के मुकाबले 33 जज अभी सुप्रीम कोर्ट में मौजूद हैं. लेकिन संख्या से अलग एक और पहलू होता है जो सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश करते समय कॉलेजियम के ध्यान में रहता है. वो है देश के सभी क्षेत्रों की रिप्रेजेंटेशन का.

SC में दर्जन भर राज्यों से एक भी जज नहीं
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या में करीब दर्जन भर राज्यों से एक भी जज नहीं हैं. इन राज्यों में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, बिहार, त्रिपुरा, छत्तीस गढ़, जम्मू कश्मीर के अलावा पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर, सिक्किम, मेघालय से भी कोई जज सुप्रीम कोर्ट में नहीं हैं.
SC में जज की नियुक्ति के लिए जरूरी कई पहलू
अमूमन पारंपरिक रूप से सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश करते समय कॉलेजियम क्षेत्रीय संतुलन के साथ- साथ अल्पसंख्यक, आदिवासी और महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व देने का पहलू भी ध्यान में रखा जाता है. जजों की नियुक्ति के लिए मान्य ज्ञापन के मुताबिक जजों का चयन इस तरह से हो कि अधिकतर राज्य या सभी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सुप्रीम कोर्ट में हो. क्षेत्रीय असंतुलन को लेकर आवाज तब भी बुलंद हुई थी जब कॉलेजियम ने दिल्ली में ही बसे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वरिष्ठ वकीलों को सीधे सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की रफ्तार बढ़ाई थी. पिछले छह सालों में चार वकीलों को सीधे सुप्रीम कोर्ट में माई लॉर्ड बनाया गया. ऐसे में ये जज किसी राज्य से नहीं माने जाते.
SC में बॉम्बे हाईकोर्ट से आए जजों का बाहुल्य
इतिहास में झांकें तो सुप्रीम कोर्ट के जजों में हमेशा बॉम्बे हाईकोर्ट से आए जजों का बाहुल्य रहता है. अभी भी पांच जज वहीं से हैं. फिर दिल्ली से चार जज हैं. इसके बाद इलाहाबाद यानी यूपी से से तीन जज हैं और मद्रास हाईकोर्ट से आने वाले जजों की संख्या भी दो है. यानी इन बड़े और पुराने हाईकोर्ट से भी जजों की संख्या अच्छी खासी रहती है.
राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, कलकत्ता यानी पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु हाईकोर्ट से दो दो जज हैं. पूर्वोत्तर के सात राज्यों में से असम से एक जज हैं और मध्यप्रदेश से भी एक ही जज हैं. यही हाल महिला जजों यानी माई लेडिशिप का भी है. कुल 34 जजों में से चार महिला जज हैं. हाई कोर्ट्स में महिला जज 66 हैं और अब तो 2027 में यानी अब से छठे साल में देश को जस्टिस बी वी नागरत्ना के रूप में पहली महिला चीफ जस्टिस मिलेगी.
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