कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के कुल्ल जिले के गांव मलाणा में कोरोना महामारी का पिछले एक साल से एक भी मामला नहीं आया है. यहां पर ढाई हजार की आबादी वाली पंचायत में अभी तक कोई केस सामने नहीं आए हैं. दरअसल, स्थानीय निवासियों ने मार्च माह के दूसरे सप्ताह में पर्यटन कारोबार को बंद करने का सामूहिक निर्णय लिया था. इसके बाद यहां पर पंचायत के चारों तरफ पहरा देकर बाहरी लोगों पर पैनी नजर रखी गई और पंचायत के अंदर बाहरी व्यक्तियों को घुसने नहीं दिया गया. इसका नतीजा यह निकला कि गांव में कोरोना महामारी का एक भी मामला नहीं है.
यहां के लोग धार्मिक प्रवृति के हैं. यहां पर देवता जम्दग्नि ऋषी ,माता रेणुका और नरसिंह भगवान और आठरहा करड़ू का वासस्थान है. यहां के लोग इस महामारी की रोकथाम के लिए देवी देवताओं का आर्शिवाद मान रहे हैं. पंचायत के बाहर बिना कारण न जाने देव आदेश पालन किया गया और मलाणा के लोगों ने कोरोना महामारी के खिलाफ एकजुटता के साथ सुझबूझ भी दिखाई.
पंचायत प्रधान राजू राम ने बताया कि कोरोना महामारी की रोकथाम को लेकर मलाणा पंचायत के प्रतिनिधियों,युवक मंडल,महिला मंडल गांव कमेटी ने मार्च माह के दूसरे सप्ताह में ही निर्णय लिया था कि अगस्त तक पर्यटकों की आवाजाही पर रोक रहेगी. मलाणा के लोग भी जरूरी काम के लिए पंचायत के बाहर जा सकते थे. बिना कार्य के लोगों को पंचायत के बाहर जाने की अनुमति नहीं थी. गांव के लोगों ने पंचायत के चारों तरफ पहरा दिया जिसके चलते गांव में कोई भी बाहरी व्यक्ति नहीं आया. उन्होंने कहा कि मलाणा में देवता जम्दग्नि ऋषी,माता रेनुका ,नारसिंह देवता के आर्शिवाद से पंचायत में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है. गांव के लोगों ने एकता और सुझबूझ और सतर्कता बरती है जिससे यहां पर अभी तक कोरोना महामारी का नामोनिशान नहीं है.
स्थानीय निवासी ठाकुर चंद ने बताया कि कोरोना महामारी को लेकर गांव कमेटी,युवक और महिला मंडल ने सामूहिक तौर पर निर्णय लिया और मार्च माह के बाद अगस्त तक एक भी पर्यटकों गांव में नहीं आने दिया गया. इसके कारण मलाणा में कोरोना महामारी का एक भी मामला नहीं है. उन्होंने कहा कि गांव व पंचायत के लोगों ने सुझबूझ दिखाई और लॉकडाउन में गांव का कोई भी व्यक्ति बिना कारण के पंचायत के बाहर नहीं गया. उनका कहना है कि यहां के लोग देवी देवताओं को मानते हैं और देव आदेश का पालन भी करते है.