लेबनान में मची है लूट, खाने-पीने के सामान खरीदने के भी नहीं है पैसे
त्रिपोली: लेबनान अपने आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. स्थिति ऐसी है कि यहां 10 में से 9 परिवारों के पास खाने-पीने के सामान खरीदने के पैसे नहीं है. कारण ये है कि बैंक लोगों को पैसा नहीं दे रहा है इस लिए लोग बैंकों में डाका डालने को मजबूर हो गए हैं. वहीं, केंद्रीय बैंक के गवर्नर रियाद सलामेह 30 सालों बाद अपना पद छोड़ रहे हैं. उनपर 30 करोड़ डॉलर स्कैम का आरोप है.
एक शख्स तेजाब लेकर बैंक के कर्मचारियों को डराते हुए दिखाई देता है. शख्स की पहचान उमर आवाह नामक शख्स के तौर पर हुई है. उसने मीडिया को बताया कि वह बैंक में पैसा लूटने नहीं, बल्कि जमा पैसा वापस लेने आया है. उसने कहा, “मैं किसी को नुकसान पहुंचना नहीं चाहता.’ उसने बैंककर्मियों को डरा-धमकाकर अपने पूरे पैसे निकाले जो अब महज 6,500 डॉलर रह गए हैं. लेबनान में मुद्रा का भारी अवमूल्यन हुआ है. जिसकी वजह से वहां जमा लोगों के पैसों का मूल्य काफी कम हो गया है. स्थिति ऐसी है कि लोगों का जमा पैसा बैंकों में 80% कम हो गया.
लेबनान में बैंकों में डकैती का मामला काफी बढ़ गए है. लोग अपने पैसों को बैंक से निकालने के लिए बैंको के कर्मचारियों को डरा-धमका रहे हैं और बैंको से जबरदस्ती पैसे निकाल रहे हैं. लोगों का कहना है कि देश में फैली अराजकता का मुख्य कारण लंबे समय तक पद पर रहे केंद्रीय बैंक गवर्नरों में से एक रियाद सलामेह हैं. लेबनान के केंद्रीय बैंक ने Ponzi स्कीम के तहत कर्जदारों को पैसे दिए और तब तक दिए जब तक लेबनान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ढह नहीं गई. लोगों का मानना है कि उन्हीं (रियाद सलामेह) की वजह से देश का ये हाल हुआ. हालांकि, रियाद सलामेह बार बार दोहराते रहे कि वे इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं.
लेबनान की जीडीपी में 40% की गिरावट आई है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगभग दो तिहाई खत्म हो गया है. सलामेह के खिलाफ केंद्रीय बैंक के गवर्नर रहते हुए पैसों के गबन के आरोप में जांच चल रहा है. उनपर 30 करोड़ डॉलर की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. हालांकि, उन्होंने कहा कि, ‘मैंने अपने बैंक अकाउंट पर ऑडिट किया स्टेटमेंट दिखाया है जिससे पता चलता है कि मेरे खाते में जमा पैसा मेरा कमाया हुआ है जिसे मैंने 20 सालों से अपनी प्राइवेट नौकरी से कमाया था.’ सलामेह के खिलाफ लक्जमबर्ग, मोनाको, बेल्जियम और ब्रिटेन में उनकी काफी संपत्ति होने की जांच चल रही है.
स्विटजरलैंड की एनजीओ अकाउंटेबिलिटी नाउ ने सलामेह को लेकर रिसर्च कर रही है. उनका मानना है कि वह आपराधिक संगठन से जुड़ा हुआ है. अकाउंटेबिलिटी नाउ के बोर्ड के अध्यक्ष जेना वाकिम कहती हैं, ‘लेबनान के जरूरतमंदो को मिलने वाली सहायता राशि कहां खत्म हो रही है. पिछले पांच सालों में, लेबनान में 5 अरब डॉलर की अंतरराष्ट्रीय मदद आई है. वो पैसा कहां गया, वो लोगों के पैसा को गबन कर लिया हैं. स्थिति ऐसी है कि ’10 में से 9 परिवारों के बुनियादी जरूरतों का खर्च उठाने में भी सक्षम नहीं हैं. लोग बिजली, दवाई, ईंधन और भोजन के लिए तरस रहे हैं.