उत्तराखंड : तांबाखाणी सुरंग में पसरी गंदगी हादसों को न्योता दे रही है। सुरंग में पानी के प्लांट और प्लांट के उत्पाद स्पेक्ट्रम से भरे हुए हैं। जिस कारण राहगीर सड़क से निकलने को मजबूर हैं। ऐसे में प्रोटोटाइप से रेसिंगटी ग्रुप से दुर्घटना का खतरा बन गया है।
जिला मुख्यालय में गंगोत्री हाईवे पर तांबाखानी गंग का निर्माण वरुणावत पैकेज से हुआ था। वर्ष 2003 में जब वरुणावत पर्वत से विसर्जन हुआ तो गंगोत्री राजमार्ग के तम्बूखानी वाले हिस्सों में पत्थर के टुकड़े की झलकियां शानदार थीं। इसके बाद यहां करीब 19 करोड़ रुपये की लागत से 376 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण किया गया।
सुरंग के अंदर भी पानी के गुण
यह रंग 2013 में तैयार हुआ था। लेकिन, निर्माण के दस साल बाद भी किसी विभाग को हैंडओवर नहीं मिल पाया है। हालांकि दो साल पहले ऑरेंज को बायरो को हैंडओवर करने की बात कही जा रही थी, लेकिन इस दिशा में भी कोई काम नहीं हुआ।
दृश्य के अभाव में अब यह सुरंजित समानताएं बनी हुई है। वहीं नियमित सफाई नहीं होने से जगह-जगह पर गंदगी होती रहती है। वर्तमान समय में तरंगों के स्पेक्ट्रम से भर गये हैं। सुरंग के अंदर भी पानी के
मित्रता से समानता है। सुरंग में लावारिस जानवर भी विचरण करते हैं, जिस कारण से प्लास्टिक के साथ दुर्घटना का डर बना रहता है।
सुरंग में लीकेज से दिक्कत है । नगर पालिका से गंगा की सफाई मिलेगी। जहां तक सुरंग के हैंडओवर करने की बात है तो इसे बीरो को हैंडओवर करने की मांग हुई थी, लेकिन अभी तक बीरो ने इसे नहीं लिया है