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देश में है 550 साल पुरानी ममी, आज भी बढ़ते है ममी के बाल व नाखून

Shantanu Roy
23 Jun 2023 6:01 PM GMT
देश में है 550 साल पुरानी ममी, आज भी बढ़ते है ममी के बाल व नाखून
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विदेशों से आते है लोग इसको देखने
नई दिल्ली। मरने के बाद भी किसी व्यक्ति के नाखून और बाल बढ़ रहें हों यह सुनकर आप एक बार चौंक जरुर जाएंगे। वह भी तब जबकि, उस व्यक्ति की मौत करीब 550 साल पहले हो चुकी हो। लेकिन चौंकाने वाला यह रहस्य भारत के ही हिमाचल राज्य में मौजूद है। स्थानीय लोग इस ममी के प्रति अपार श्रद्घा रखते हैं। कहते हैं कि यह ममी एक साधु की है। कहते हैं उन दिनों इस गांव में बिच्छूओं का आतंक था। साधु ने गांव वालें से कहा कि आप लोग मुझे जमीन में दफना दो। इससे बिच्छूओं का आतंक खत्म हो जाएगा।

हिमाचल के स्पीती जिले के गांव गीयू में 550 साल पुरानी एक ममी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस ममी के बाल और नाखून बढ़ते रहते हैं। हालांकि चिकित्सा विज्ञान इस सच से इंकार करता है। साधु की बात मानकर गांव वालों ने साधु को जमीन में दफना दिया। इसके बाद बिच्छू गायब हो गए। साधु का भी कुछ पता नहीं चला। इंडो तिब्बतियन बोर्डर पुलिस द्वारा की जा रही खुदाई में यह ममी प्राप्त हुई। इसके बाद से ममी को संभलकर रखा गया है और लोग इसकी पूजा करते हैं।

हिमाचल प्रदेश के गयू गांव में एक 550 साल पुरानी बौद्ध लामा की ममी है. इस ममी के बारे में कहा जाता हैं कि इस ममी के बाल और नाखून आज भी बढ़ रहे हैं. समाधि में लीन इस ममी में जान है. गयू गांव स्पीति घाटी के ठंडे रेगिस्तान में समुद्र तल से करीब 10,499 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. भारत चीन सीमा के पास मौजूद यह गांव अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है. लेकिन इस गांव में 550 साल पुरानी ममी को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं. लाहौल स्पीति घाटी की ऐतिहासिक ताबो मठ से करीब 50 किमी दूर भारत-चीन सीमा पर स्थित गयू गांव साल में 6-8 महीने बर्फ से ढके रहने की वजह से दुनिया से कटा रहता है. यहां के लोगों की इस ममी के प्रति गूढ़ आस्था है.

इस ‘ममी’ को लोग भगवान समझकर पूजते हैं. लोग इसे जिंदा भगवान मानते हैं। इस ‘ममी’ का रहस्य आज भी बरकरार है. कहा जाता है यह ममी तिब्बत से गयू गांव में आकर तपस्या करने वाले लामा सांगला तेनजिंग की है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को सड़क निर्माण कार्य के दौरान यह ममी मिली थी. क्योंकि 1975 में यहां आए भूकम्प में यह ममी जमीन में दफ़न हो गयी थी. 1995 में आईटीबीपी के जवानों को सड़क बनाते समय खुदाई में यह ममी फिर मिल गई. कहते हैं कि खुदाई के समय इस ममी के सिर पर कुदाल लगने से खून तक निकल आया था. ममी पर इस ताजा निशान को आज भी देखा जा सकता है. 2009 तक यह ममी ITBP के कैम्पस में रखी हुई थी. बाद में इस ममी को गयू गांव में स्थापित कर लिया गया. गयू गांव आप शिमला और मनाली दोनों जगहों से जा सकते हैं.
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