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देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 2014 के बाद से हुआ काफी इजाफा

Admin Delhi 1
31 May 2023 4:20 AM GMT
देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 2014 के बाद से हुआ काफी इजाफा
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दिल्ली: देशभर में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा स्थापित मानकों का कथित तौर पर पालन न करने के लिए पिछले दो महीनों में करीब 40 मेडिकल कॉलेज मान्यता गंवा चुके हैं. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि तमिलनाडु, गुजरात, असम, पंजाब, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल में करीब 100 और मेडिकल कॉलेजों पर भी ऐसी ही कार्रवाई की जा सकती है.

एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि कॉलेज निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं कर रहे थे और आयोग द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान सीसीटीवी कैमरों, आधार से जुड़ी बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रक्रियाओं और फैकल्टी रोल से संबंधित कई खामियां पाई गईं.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2014 के बाद से मेडिकल कॉलेजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने फरवरी में राज्यसभा को बताया था कि 2014 में 387 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन अब 69 प्रतिशत इजाफे के साथ इनकी संख्या 654 हो चुकी है.

इसके अलावा, एमबीबीएस सीट में 94 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो वर्ष 2014 के पहले की 51,348 सीट से बढ़कर अब 99,763 हो गई है. पीजी सीट में 107 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो वर्ष 2014 से पहले की 31,185 सीट से बढ़कर अब 64,559 हो गई है.

उन्होंने कहा कि देश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाई है और उसी हिसाब से एमबीबीएस की सीटें भी बढ़ाई गईं हैं. देश में मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए उपायों और कदमों में जिला/रेफरल अस्पतालों को अपग्रेड करके नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना शामिल है, जिसके तहत स्वीकृत 157 में से 94 नए मेडिकल कॉलेज पहले से ही कार्यरत हैं.

मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि एनएमसी काफी हद तक आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली पर निर्भर है, जिसके लिए यह केवल उन शिक्षकों पर विचार करता है जो सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक दिन के समय ड्यूटी पर होते हैं. एक विशेषज्ञ ने कहा, ‘लेकिन डॉक्टरों के काम के घंटे तय नहीं हैं. उन्हें आपातकालीन और रात की पाली में भी काम करना पड़ता है. इसलिए काम के घंटों के साथ एनएमसी की कठोरता ने इस मुद्दे को पैदा किया है. मेडिकल कॉलेजों का ऐसा सूक्ष्म प्रबंधन व्यावहारिक नहीं है और एनएमसी को इस तरह के मुद्दों को हल करने के लिए नरम रवैया अपनाने की जरूरत है.’

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