महिला कर रही थी सब इंस्पेक्टर को परेशान, वकील की दलील पर एसआई को कोर्ट ने दी जमानत
एमपी। अवैध संबंधों के दुष्परिणाम जानते हुए भी यदि दो शादीशुदा द्वारा संबंध बनाए गए है. तो यह शादी का झांसा कैसे हुआ. इंदौर हाईकोर्ट में यह दलील अधिवक्ता मनीष यादव द्वारा दी गई. इंदौर निवासी 34 वर्षीय विवाहित महिला ने उज्जैन चिमनगंज थाने में पदस्थ 26 वर्षीय विवाहित सब इंस्पेक्टर विकास देवड़ा पर आरोप लगाया था कि उसने शादी का झांसा देकर न सिर्फ युवती का शारिरिक शोषण किया और उसके साथ मारपीट भी की गई. यह सब आरोप लगाते हुए थाना चिमनगंज उज्जैन में शादी का झांसा देकर बलात्कार करने की विभिन्न गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया था. जिसके बाद सब इंस्पेक्टर विकास देवड़ा की और से हाईकोर्ट एडवोकेट मनीष यादव और एडवोकेट उमेश शर्मा ने अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई थी.
अधिवक्ता यादव ने न्यायालय में देवडा की और से तर्क रखे कि महिला स्वयं सब इंस्पेक्टर को परेशान कर रही है. उसके द्वारा याचिकाकर्ता विकास से लाखों रुपए ले लिए गए और खुद घर में पंडित को बुलाकर शादी रचाई और आरोपी के साथ लगातार पब होटल में स्वयं की मर्जी से संबंध बनाए. इसके साथ ही शिकायतकर्ता महिला का पति आदतन अपराधी है. उस पर विभिन्न थानों में 22 मुकदमे दर्ज है. पति पत्नी द्वारा मिलकर सब इंस्पेक्टर को फसाया गया है. इस संबंध में यादव ने दोनो के फोटोग्राफ और बैंक डिटेल पेश किए.
पीडिता की और से जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता मृगेंद्र सिंह ने तर्क रखते हुए बताया की आरोपी सब इंस्पेक्टर प्रभावशाली है. उसके द्वारा पीड़िता का शोषण किया गया है. आरोपी सब इंस्पेक्टर एक दम रसिया किस्म का व्यक्ति है. इसे जेल भेजा जाना चाहिए. जिस के प्रतिउत्तर में अधिवक्ता मनीष यादव ने न्यायालय को बताया पीड़िता के वकील द्वारा कोई बी लीगल बहस नही की गई है. केवल किसी की जीवनशैली के आधार पर उसे जेल नहीं भेजा जा सकता है. दोनो ने अवैध संबंधों के दुष्प्रभावों को जानते हुए. मर्जी से संबंध बनाएं इस स्थिति में शादी का झांसा देने का प्रश्न ही नहीं उठता है. हालांकि अधिवक्ता मनीष यादव के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायमूर्ति राजेन्द्र वर्मा की एकलपीठ ने उक्त टिप्पणी के साथ सब इंस्पेक्टर की अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार कर ली है.