मुंबई। महाराष्ट्र में रहना है तो मराठी भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। यह बात महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कई बार सार्वजनिक मंच से कही है। इस बात को लेकर मनसे ने कई बार दूसरे प्रदेशों के लोगों के साथ मारपीट जैसी घटनाओं को भी अंजाम दिया है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने एक बार फिर मराठी भाषा का राग अलापा है। दरअसल इसकी चिंगारी उठी है कोलाबा इलाके से, जहां एक मराठी लेखिका शोभा देशपांडे (75 ) महावीर ज्वैलर्स के यहां गई थीं। उन्होंने मराठी में बातचीत शुरू की लेकिन ज्वैलर गुजराती भाषी था और मराठी नहीं बोल रहा था। लेखिका का आरोप है कि ज्वैलर को मराठी आती थी, फिर भी वह भाषा का अपमान कर रहा था।
लेखिका शोभा देशपांडे ने कहा कि दुकानदार ने मुझे बद्तमीजी से बात की और फिर पुलिस को बुलाकर मुझे दुकान से बाहर करवा दिया। ग्राहकों के पेश आने का यह यह तरीका बिल्कुल गलत है।
दुकान के बाहर किया 12 घंटे तक धरना
अपने साथ हुए इस अपमान का बदला लेने के लिए लेखिका शोभा देशपांडे ने दुकान के बाहर ही गुरुवार शाम 5 बजे से धरना देना शुरू कर दिया और शुक्रवार की सुबह तक बैठी रहीं। इस दौरान पुलिस ने उन्हें कई बार समझाने और मनाने की कोशिश की लेकिन वह अपनी बात पर अड़ी रहीं। उनकी मांग थी कि दुकानदार अपनी गलती के लिए उनसे माफी मांगे और अपनी दुकान का लाइसेंस दिखाए। जब तक दुकानदार ऐसा नहीं करेगा तब तक वह इसी प्रकार से धरना स्थल पर बैठी रहेंगी।
इस घटना की जानकारी जैसे ही एमएनएस कार्यकर्ताओं को मिली तो वे दुकान के बाहर पहुंचे और महावीर ज्वैलर्स के मालिक के साथ मारपीट की। इस दौरान पुलिस भी वहां मौजूद थी। यह कोई पहला मौका नहीं है जब मनसे ने मराठी भाषा के नाम पर हंगामा किया हो। महाराष्ट्र विधानसभा का वह मंजर सब को याद होगा। जब सपा विधायक अबू आजमी ने विधानसभा में शपथ ग्रहण समारोह में मराठी में शपथ लेने से इनकार कर दिया था। तब एमएनएस के दो विधायकों ने अबू आजमी के साथ मारपीट की थी।