गोरखपुर के गगहा क्षेत्र के चिमचा गांव में पति की शव यात्रा दरवाजे से निकली कि पत्नी ने भी पति के गम में दम तोड़ दिया। 12 घंटे की अवधि में ही दम्पत्ति की मौत से गांव में शोक की लहर दौड़ गई। शनिवार को बड़हलगंज स्थिति मुक्तिपथ पर सरयू तट के किनारे दम्पत्ति का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।
क्षेत्र के चिमचा गांव निवासी 82 वर्षीय बेचई प्रजापति की तबीयत कुछ दिन से खराब चल रही थी। पत्नी भगवानी और पुत्र टिकोरी परिवार उनकी देखभाल में लगे थे। शुक्रवार की देर शाम बेचई की मौत हो गई। रात हो जाने के चलते परिजनों ने दाह संस्कार शनिवार की सुबह करने का निर्णय लिया। शनिवार को तड़के से ही बेचई की अर्थी सजी। करीब 8:00 बजे तक बेचई की शव यात्रा लेकर मुक्तिपथ के लिए निकले। गुमशुम बैठी पत्नी भगवनी देवी बदहवास हो गई। शवयात्रा गाव के बाहर पहुंची कि पत्नी भगवानी देवी की मौत सूचना उनके पुत्र को मिली। पिता के शव को गांव के बाहर रखकर, ग्रामीणों की मदद से टिकोरी ने मॉ भगवानी की अर्थी भी तैयार की। काफी संख्या में महिला अपने घरों से निकल आई। परिजनों ने एक साथ दोनों की चिता सजाई, ग्रामीणों की मौजूदगी में इकलौते बेटे टिकोरी प्रसाद ने दोनों को मुखाग्नि दी। एक साथ पति पत्नी की चिता जलते देख घाट पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई। पूरे क्षेत्र में दम्पत्ति के निधन की यह खबर सब की जुबान पर है। बेचई कलकत्ता में रहकर मेटल एण्ड स्टील फैक्ट्री में सुपरवाइजर पद काम करते थे। पत्नी गांव पर रहकर एक लड़के व तीन लड़कियों की परवरिश करती थी। बेचई ने अपने सभी बच्चों की शादी कर चुके थे। उनके नाती-पोते भी है। 2001 मँं बेचई रिटायर्ड होने के बाद गांव पर रहकर पेन्शन लेते और बच्चे टिकोरी के व्यवसाय आटा चक्की व गो सेवा में हाथ बटाते थे।