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तीसरी लहर में कोरोना की सेल्फ टेस्ट किट का इस्तेमाल बढ़ा, डॉक्टर बोले- ये खतरनाक है!
jantaserishta.com
13 Jan 2022 7:14 AM GMT
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नई दिल्ली: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच आरटीपीसीआर टेस्ट से बचने के लिए लोग सेल्फ टेस्टिंग किट का तेजी से इस्तेमाल कर रहे हैं. राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में अचानक से सेल्फ टेस्टिंग किट की डिमांड बढ़ गई है. आज तक को मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में रोजाना लगभग 5 से 10 हजार किट की बिक्री हो रही है.
5 से 10 हजार किट की सेल रोजाना
दिल्ली रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन केमिस्ट अलायंस के प्रेजिडेंट संदीप नांगिया के मुताबिक दिसम्बर महीने के आखरी हफ्ते में किट को लोग पूछने भी नहीं आते थे. लेकिन पिछले एक हफ्ते में ये रोज हजारों में बिक रही हैं. 5 से 10 हजार किट की सेल रोजाना हो रही है. संदीप के मुताबिक ये बिक्री प्राइवेट ऑफिसेज में लोग अपने स्टाफ के लोगों के इस्तेमाल करने के लिए लेकर जा रहे हैं. इसके साथ पॉश एरिया ओर मिडल क्लास के लोग इस किट का ज्यादा इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं. डिस्ट्रीब्यूटर्स की मानें तो महज 15 मिनट में इस किट से रिजल्ट सामने आ जाते हैं कि आप कोरोना पॉजिटिव हैं या नहीं? यही वजह है कि लोग इसका इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं.
टेस्ट के लिए अस्पताल जाने से कतरा रहे लोग
मेडिकल स्टोर पर इन किटों को खरीदने आए लोगों की मानें तो पिछले काफी दिनों से कोरोना तेजी से फैल रहा है और लोग अस्पतालों में जाने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि लोग हल्के सिम्टम्स होने के कारण इस किट का इस्तेमाल अपने और अपने पूरे परिवार के लोगों के लिए कर रहे हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि पिछले कई दिनों से कोरोना के मामले जिस तरीके से बढ़ रहे हैं, ऐसे में लैब्स में टेस्टिंग के लिए 24 से 48 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है. संदीप के मुताबिक अभी ये सेल्फ किट तीन कंपनी बना रही हैं. दो कंपनियों ने इसकी कीमत 250 रुपये और 320 रुपये रखी है.
'सेल्फ टेस्टिंग किट का इस्तेमाल खतरनाक'
हालांकि, सेल्फ टेस्टिंग किट डॉक्टर और सरकार दोनों के लिए लगातार परेशानी बढ़ाता जा रहा है. आई एम ए के डॉक्टर डॉ अनिल गोयल का कहना है कि सेल्फ टेस्टिंग किट का इस्तेमाल करना बेहद खतरनाक हो सकता है. सबसे पहले सेल्फ किट का इस्तेमाल सही तरीके से किया है या नहीं किया है. कई बार उसमें फॉल्स नेगेटिव भी आता है तो हो सकता है कि आपकी डिजीज पॉजिटिव हो, आपको डॉक्टर की जरूरत हो, आपको आरटीपीसीआर कराने की जरूरत है. खास तौर पर आप सिंप्टोमेटिक मरीजों को.अगर आप नहीं दिखा रहे हैं यानी रिस्क लिया तो आप लेट स्टेज में अस्पताल में एडमिट होंगे, जो कि जान को खतरा है.
डॉक्टर अनिक गोयल का कहना है कि कई बार ऐसे मरीज आते हैं जिनकी सांस फूलने लगती है. शुरुआत में माइल्ड सिम्टम्स सामने आ रहे थे लेकिन अब लोग ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं और लोगों की जान भी ज्यादा जा रही है. इसके अलावा लोगों का हॉस्पिटलाइजेशन भी लगातार बढ़ता जा रहा है. दूसरा डॉक्टरों का कहना इस टेस्टिंग किट आईसीएमआर से कोई रजिस्टर्ड नहीं है. हमारे पास कई ऐसे मरीज आते हैं जिनका होम किट के जरिए पॉजिटिव है लेकिन उनका कोई डाटा नहीं है. ऐसे में यह लोग सुपर स्पेडर हो सकते हैं.
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