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नई दिल्ली | भारत और अमेरिका के बीच विशेष रूप से रक्षा और नयी प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में एक टिकाऊ साझेदारी चीन के आक्रामक व्यवहार का मुकाबला करने तथा यूक्रेन संकट के परिणामों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है। अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने यहां रविवार को यह कहा। थानेदार ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि अमेरिकी संसदमें यह आम राय है कि नयी दिल्ली के साथ वाशिंगटन के संबंध अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद, अमेरिकी सांसदों के उस द्विदलीय समूह का हिस्सा हैं जो 15 अगस्त को ऐतिहासिक लाल किले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन सहित कई कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए के लिए भारत आये हैं। थानेदार ने कहा कि भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए अमेरिका में द्विदलीय समर्थन है और यह 23 जून को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संबोधित करने के दौरान उनका डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी, दोनों दलों द्वारा गर्मजोशी से किये गए स्वागत से स्पष्ट था।
थानेदार ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा बहुत महत्वपूर्ण थी। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच की आपसी समझ और मित्रता ने इस बात का संकेत दिया कि हम अपने संबंधों के अगले दौर में प्रवेश कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी भारत यात्रा का उद्देश्य उस रिश्ते को चिरस्थायी मित्रता में तब्दील करना है।’’ अमेरिकी सांसदों के द्विदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना और सांसद माइकल वाल्ट्ज कर रहे हैं। दोनों भारत और भारतीय अमेरिकियों पर द्विदलीय अमेरिकी कॉकस के सह-अध्यक्ष हैं। थानेदार ने कहा, ‘‘फिलहाल, अमेरिकी संसद में यह आम धारणा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन की आक्रामकता को ध्यान में रखते हुए भारत के साथ यह संबंध अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’’ भारत में लड़ाकू विमान के इंजन बनाने के लिए विमान इंजन निर्माता अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच समझौते के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने संकेत दिया कि इसका अमेरिकी संसद द्वारा अनुमोदन किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान, जीई एयरोस्पेस और एचएएल ने भारत में एफ414 इंजन का विनिर्माण करने के लिए वाशिंगटन में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे। मोदी की इस यात्रा के दौरान, भारत की अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (एचएएलई) ड्रोन खरीदने की योजना को भी अंतिम रूप दिया गया। थानेदार ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि ड्रोन सौदे और जेट इंजन परियोजना दोनों को अमेरिका में अनुकूल प्रतिक्रिया मिलेगी।’’ थानेदार ने कहा कि चीन के आक्रामक व्यवहार और उसकी अनुचित व्यापार नीतियों को देखते हुए अमेरिका भारत को एक मजबूत साझेदार बनाना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत महत्वपूर्ण है कि अमेरिका और भारत अंतरिक्ष एवं रक्षा क्षेत्रों में एकसाथ काम करें, रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचार पर ध्यान केंद्रित करें - चाहे वह ड्रोन हो, या जेट इंजन।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सहयोग चीन और रूस को यह कड़ा संदेश देने में काफी मदद करेगा कि उनकी आक्रामकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।’’
रूस के साथ भारत के मजबूत संबंधों के बारे में पूछे जाने पर थानेदार ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत मॉस्को के साथ अपने संबंधों पर दोबारा विचार करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘आगे बढ़ते हुए भारत को यह तय करना होगा कि वह रूस के साथ कितनी मित्रता और व्यापारिक सहयोग चाहता है, और अमेरिका के साथ कितना सहयोग चाहता है।’’ उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अब किसी एक को चुनने का समय आ गया है।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत को यह नहीं बता सकता कि उसे क्या करना चाहिए। ‘‘लेकिन हमें उम्मीद है कि भारत, रूस के साथ अपने संबंधों पर विचार करेगा।’’ धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की हालिया रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर थानेदार ने कहा कि हर देश की समस्याएं होती हैं। रिपोर्ट में, अल्पसंख्यकों पर कथित हमलों के लिए भारत की आलोचना की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘नस्ली संबंधों के मामले में अमेरिका को और अधिक काम करने की जरूरत है। हममें से कोई भी पूर्ण नहीं है। भारत के अपने मुद्दे हैं, अमेरिका के अपने मुद्दे हैं, लेकिन हम पश्चिम एशिया और चीन में जो कुछ देख रहे हैं उसकी तुलना में वे बहुत हल्के हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब आप दोस्त होते हैं, आप बात करते हैं और बेहतर राष्ट्र बनने में एक-दूसरे की मदद करते हैं।’’ अमेरिकी सांसद ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने यह संकेत दिया है कि आक्रामकता से लड़ने के लिए भारत और अमेरिका को मिलकर काम करने की जरूरत क्यों है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत को भी चीन की सैन्य आक्रामकता का सामना करना पड़ा है। इसलिए, भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंध बहुत महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को आव्रजन और एच1बी वीजा से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।
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Harrison
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