भारत

शीतकालीन सत्र शुरू तीन दिन बाद ही खत्म हो रहा था ईडी प्रमुख का कार्यकाल

Pushpa Bilaspur
14 Nov 2021 2:20 PM GMT
शीतकालीन सत्र शुरू तीन दिन बाद ही खत्म हो रहा था ईडी प्रमुख का कार्यकाल
x

शीतकालीन सत्र शुरू तीन दिन बाद ही खत्म हो रहा था ईडी प्रमुख का कार्यकाल

केंद्र सरकार ने रविवार को बड़ा फैसला लेते हुए दो अध्यादेश लेकर आई जिनके अनुसार प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई निदेशक का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाया जा सकेगा। केंद्र के इस कदम का समय इस ओर संकेत करता है कि यह निर्णय ईडी के मौजूदा निदेशक एसके मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए लिया गया है।

मिश्रा का वर्तमान कार्यकाल आगामी 17 नवंबर को समाप्त होने वाला है। पिछले साल भी उनके कार्यकाल को एक साल बढ़ाया गया था और केंद्र के इस फैसले को असाधारण और अभूतपूर्व करार दिया गया था। एसके मिश्रा ने ईडी का निदेशक पद 2018 में संभाला था।
संसद का शीतकालीन सत्र कुछ ही दिन में शुरू होने वाला है। सत्र से ऐन पहले इस अध्यादेश को लाने का फैसला विवाद भी खड़े कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एसके मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार से जुड़े मामले में हाल ही में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस तरह का विस्तार केवल 'दुर्लभ' और 'असाधारण मामलों में' हो सकता है।
विपक्षी नेता केंद्र पर लगाते रहे हैं ईडी का दुरुपयोग करने का आरोप
पूर्व में विपक्षी नेता केंद्र सरकार पर आरोप लगाते आए हैं कि ईडी का इस्तेमाल जानबूझकर उनके खिलाफ किया जा रहा है। मिश्रा की अगुवाई में ईडी ने कई नेताओं के खिलाफ जांच शुरू की है। विपक्षी नेताओं का यह भी कहना है कि जब कोई विपक्षी नेता भाजपा के खिलाफ बोलता है तो ईडी उस नेता के खिलाफ काम करने लगती है।
केंद्र सरकार ने जारी किए हैं ये दो अध्यादेश, कुछ ऐसा होगा असर
केंद्र ने जो अध्यादेश जारी किए हैं उनमें से एक सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (संशोधन) ऑर्डिनेंस 2021 और दूसरा दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टैब्लिशमेंट (संशोधन) ऑर्डिनेंस 2021 है। पहले अध्यादेश के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख के कार्यकाल को शुरुआती नियुक्ति से एक बार में एक साल बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए संबंधित चयन समिति की अनुमति की जरूरत होगी।
वहीं, दूसरे अध्यादेश के तहत सीबीआई के निदेशक के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए संशोधन किया गया है। संसद के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले इन अध्यादेशों को जारी करने का साफ मतलब है कि सरकार सत्र के दौरान इन्हें पटल पर रखने की तैयारी में है।
साल 1977 तक सीबीआई प्रमुख को सरकार कभी भी हटा सकती थी
सीबीआई का गठन साल 1963 में भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत किया गया था। साल 1997 तक ऐसा नियम था कि सरकार सीबीआई प्रमुख को कभी भी हटा सकती थी। 1997 में विनीत नारायण मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई प्रमुख पर दबाव बनने की आशंकाओं को खत्म करने के लिए कार्यकाल कम से कम दो साल कर दिया था।
सीबीआई प्रमुख का चयन एक समिति करती है जिसमें प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। सीबीआई प्रमुख की जिम्मेदारी इस समय आईपीएस अधिकारी सुबोध जायसवाल के पास है।


Next Story