बाराबंकी, जेएनएन। फर्जी अभिलेखों व नाम बदलकर 11 वर्षाें से नौकरी कर रही शिक्षिका को बीएसए ने तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करते हुए वेतन की रिकवरी के आदेश दिए हैं। साथ ही खाते से लेनदेन पर भी रोक लगा दी गई है। इस फर्जीवाड़े का राजफाश शिक्षिका के पति के एसटीएफ की गिरफ्त में आने के बाद हुआ। उसका पति भी लखनऊ के गोमतीनगर में फर्जी अभिलेखों के सहारे नौकरी कर रहा था। बस्ती जिले में पहली तैनाती पाने वाली शिक्षिका आठ वर्षों से जिले में तैनात थी।
बीएसए वीपी सिंह ने बताया कि जिला संतकबीरनगर के कोतवाली खलीलाबाद के औद्योगिक नगर निवासी राम बिहारी पांडेय की पुत्री अर्चना पांडेय की नियुक्ति तीन जुलाई 2009 को सहायक अध्यापक पद पर हुई थी। उसको पहली तैनाती बस्ती जिले के दुबौलिया ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय मसीहा में मिली थी। 14 अगस्त 2012 में अंतरजनपदीय तबादले के तहत शिक्षिका ने बाराबंकी जिले के सिद्धौर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय नौछना में पद स्थापन कराया। वर्तमान में वह पूर्व माध्यमिक विद्यालय गदिया में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थी। अर्चना पांडेय के नाम बदलकर नौकरी किए जाने की बात संज्ञान आने पर जांच शुरू की गई। शिक्षिका से शैक्षिक अभिलेख, पैन कार्ड, आधार कार्ड के साथ एक सप्ताह के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया। इसका जवाब देने के बजाय वह एक जुलाई 2020 से फरार हो गई। यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब उसके पति प्रमोद सिंह पुत्र इंद्रमणि यादव को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया। पूछताछ में प्रमोद ने बताया कि उसकी पत्नी प्रीलता वर्तमान में अर्चना पांडेय के नाम से पूर्व माध्यमिक विद्यालय गदिया में नौकरी कर रही है।
बाराबंकी बीएसए वीपी सिंह ने कहा कि शिक्षिका को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। रिकवरी के आदेश दिए गए हैं। जिस खाते में वेतन जा रहा था, उस खाते पर भी रोक लगा दी गई है। अब 2009 से अब तक वेतन की रिकवरी की जाएगी। उधर, एसटीएफ भी शिक्षिका की तलाश में है।