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घोषणा पत्र का अचूक बाण, हिमाचल में चलेगा भूपेश का जादू

Nilmani Pal
31 Aug 2022 11:23 AM GMT
घोषणा पत्र का अचूक बाण, हिमाचल में चलेगा भूपेश का जादू
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दिल्ली-हिमाचल से अंजलि त्यागी की रिपोर्ट

Himachal Assembly Election 2022

प्रतिवर्तन पसंद करते है हिमाचली

1985 के बाद नहीं हुई कोई भी सत्ता रिपीट

हिमाचल प्रदेश में इस साल नवम्बर के अंत तक विधानसभा चुनाव होने है. जिसको लेकर हिमाचल प्रदेश के तमाम राजनैतिक दल सक्रियता से जनता को लुभाने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ रहें है. परन्तु यहाँ की राजनीति अन्य राज्यों के मुकाबलें बिल्कुल अलग ही रही है. चुनावी सर्वे हो या एग्जिट पोल यहाँ के चुनावी नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया है. आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश 12 जिले है, जिनमें इस साल में 68 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने है. वर्तमान में यहाँ भाजपा की सरकार है. वर्ष 2017 के विस चुनाव में भाजपा ने 68 में विधानसभा सीटों में से 44 और बहुमतसीटों पर कब्ज़ा जमाया था और जयराम ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाई थी। हिमाचल प्रदेश में सत्ता पर कांग्रेस और बीजेपी ही काबिज रही है. जबकि मुकाबलें में कई बार तीसरा दल भी शामिल रहा है. हिलोपा, कमुनिस्ट पार्टी व बहुजन समाज पार्टी सहित कई दलों ने चुनाव लड़ें लेकिन लोगों ने कभी तीसरे फ्रंट को स्वीकार ही नहीं है. इस बार तीसरे फ्रंट के रूप में आम आदमी पार्टी ने एंट्री मारी है जिससे मुकाबला त्रिकोणीय बन चुका है। पंजाब में रिकॉर्ड तोड़ जीत के बाद आप अपना भविष्य हिमाचल में भी आजमा रही है.

हिमाचल कांग्रेस ने 10 गारंटियों के साथ चुनावी ताल ठोक दी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री एवं विधानसभा चुनाव के वरिष्ठ पर्यवेक्षक भूपेश बघेल ने शिमला से आज इन गारंटियों को लांच किया। इसी के साथ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है।

कांग्रेस की 10 गारंटी

कांग्रेस ने सत्ता में आने के 10 दिन के भीतर ओल्ड पेंशन बहाल करने, प्रत्येक घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, 18 से 60 साल की महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह, 5 लाख युवाओं को रोजगार, फलों के दाम तय करने का अधिकार बागवानों को देने का वादा किया है।

इसी तरह युवाओं के लिए 680 करोड़ का स्टार्टअप फंड, हर गांव में मुफ्त इलाज के लिए मोबाइल क्लीनिक, विधानसभा क्षेत्र में 4 -4 अंग्रेजी मीडियम स्कूल, गाय व भैंस पालकों से हर दिन 10 लीटर दूध खरीदे जाने और गोबर के 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीद का वादा किया है।

बघेल ने ने कहा कि सभी नेताओं ने विचार विमर्श किया कि गाय व भेंसपालक से 10 लीटर दूध सरकार खरीदेगी। इससे पशुपालक को दूध का उचित मूल्य मिल पाएगा। उन्होंने बताया कि पशुपालकों से दो रुपए की दर से गोबर भी सरकार खरीदेगी।





किसमें है कितना दम?

हिमाचल प्रदेश में दोनों बड़ी पार्टिया अपने दम को आजमानें में जुट गई है. जहाँ सत्ता पर काबिज भाजपा परिवर्तन की रीत को बदलने में ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही है. वही सत्ता में आने के लिए कांरेश भी जुगत लगा रही है. इसमें आम आदमी पार्टी ने भी अपने अत्स्तिव का तड़का लगा कर चुनाव लड़ने की ताल थोक दी है. ऐसे में जनता के सामनें अपने दाम और कार्यशैली की नुमाइश करने के लिए तीनो पार्टियों ने जन सभाओं और रैलियों का दौर शुरू कर दिया है. भाजपा के तमाम दिग्गज नेताओं ने दिल्ली से हिमचल के सड़के नाप दी है. परहन मंत्री नरेंद्र मोदी सहित केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर व् राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इन दिनों हिमाचल में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहें है. वही कांग्रेस पार्टी की तरफ से राजस्थान ले उपमुख्यमंत्री सचिन पायलेट सहित छतीसगढ़ मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने शिमला में चुनावों के लेकर रणनीति तैयार की है. हलाकि पूर्व मुख्मंत्री दिवंगत राजा वीरभद्र सिह के बाद कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर टोटा बना हुआ है. जनता भी मुख्यमंत्री चेहरे को देखकर ही अपना मन भी बनती है जिसके चलते कांग्रेस के की यह बड़ी खामी मानी जा रही है. वही आम आदमी पार्टी भी हिमाचल के विधानसभा चुनाव में पूरी रणनीति के साथ उतर चुकी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द कजरीवाल भी हिमाचल में कई बार जनसभा कर चुके है. पंजाब में शानदार जीत के बाद आप का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है और यह पार्टी हिमाचल में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। इस बार अपनी सत्ता को बचाएं रखना भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है, क्योकि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व् केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर जैसे दिग्गज नेता मूल रूप से हिमाचली है, इसलिए वह जीत के लिए पुरा जोर लगा रहे हैं। जिसके चलते दोनों ही नेता राज्य में लगातार सक्रीय है और एक के बाद एक हिमाचल का दौरा कर रहें है.


परिवर्तन है रीत

हिमाचल प्रदेश में राज्य के गठन के बाद कांग्रस पार्टी का दबदबा अधिक रहा है . इस राज्य में कांग्रेस ने 3 बार लगातार सत्ता में अपना नाम दर्ज करवाया है लेकिन 1985 के बाद से यहाँ पर सरकार रिपीट नहीं हुई . जनता ने दोनों ही दलों को जनता ने बारी-बारी से मौका दिया है.

Jai Ram Thakur 27 Dec 2017 Present BJP

2 Virbhadra Singh 25 Dec 2012 27 Dec 2017 INC

3 Prem Kumar Dhumal 30 Dec 2007 25 Dec 2012 BJP

4 Virbhadra Singh 06 Mar 2003 30 Dec 2007 INC

5 Prem Kumar Dhumal 24 Mar 1998 05 Mar 2003 BJP

6 Virbhadra Singh 03 Dec 1993 23 Mar 1998 INC

7 President's rule 15 Dec 1992 03 Dec 1993 N/A

8 Shanta Kumar 05 Mar 1990 15 Dec 1992 BJP

9 Virbhadra Singh 08 Mar 1985 05 Mar 1990 INC

10 Virbhadra Singh 08 Apr 1983 08 Mar 1985 INC

11 Thakur Ram Lal 14 Feb 1980 07 Apr 1983 INC

12 Shanta Kumar 22 Jun 1977 14 Feb 1980 Janata Party

13 President's rule 30 Apr 1977 22 Jun 1977 N/A

14 Thakur Ram Lal 28 Jan 1977 30 Apr 1977 INC

15 Yashwant Singh Parmar 01 Jul 1963 28 Jan 1977 INC

16 Yashwant Singh Parmar 08 Mar 1952 31 Oct 1956 INC

अब कांग्रेस इस तथ्य को लेकर भरोसे में है कि इस बार कांग्रेस का मौका है. वही यदि बीजेपी के पास मोदी फेक्टर है जिसको लेकर भाजपा भी हिमाचल में सरकार बनाने को लेकर आश्स्वस्त है. अब यदि इस बार भाजपा फिर सत्ता हासिल करने में कामयाब हो जाती है तो यह बीजेपी के लिए ऐतिहासिक जीत मानी जाएगी।


लगातार जनसभा कर रहें जेपी नड्डा

जेपी नड्डा का मुख्य फोकस हिमाचल प्रदेश पर ही है, नड्डा अप्रैल माह से लगातार राज्य का दौरा कर रहें हैं। बीते माह 75वे अमृत महोस्तव को लेकर भी नड्डा ने सिरमौर जिले का दौरा किया था. यहाँ उन्होंने 5 विधानसभा सीटों को लेकर जीत के लिए ताल ठोकी. आपकों बता दें कि 9 अप्रैल को जेपी नड्डा ने शिमला में रोड शो किया था। उसके दूसरे दिन कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। 11 अप्रैल को बूथ कमिटी मेंबर के घर पर नेम प्लेट लगाकर मेरा बूथ सबसे मजबूत कैंपेन की शुरूआत की। वह 10 दिनों के अंदर फिर राज्य में पहुंचे और 22 अप्रैल को कांगड़ा में पब्लिक मीटिंग की।

मई में भी जेपी नड्डा राज्य में बड़े कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं। बीजेपी के एक नेता ने बताया कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं जेपी नड्डा के दौरे भी बढ़ेंगे। उन्होंने दावा किया कि जेपी नड्डा हर 8 से 10 दिन में एक बार हिमाचल प्रदेश का दौरा करेंगे.

जयराम से उबी जनता, बागबान और सरकारी कर्मचारी खफा

चुनावी तैय्रारियों के बीच प्रदेश का प्रदेश में वर्तमान मुख्यमंत्री की कार्यशैली से जनता में नाराजगी भी किसी से छिपुई नही रही है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भाजपा से लोग खफा नहीं लेकिन मुख्यमंत्री की कार्यशैली लोगों को पसंद नहीं है. प्रदेश का बागबान जयराम साकार की नीतियों से परेशान है. इसके आलावा गिरिपार को हाटी मुद्दे को लाकर भी स्वर्ण और दलित समुदाय भी इन दिनों भाजपा से नाराज चल रहा है. वही सरकारी कर्मचारी भी विभिन्न मुद्दों को लेकर उग्र है. कांग्रेस के ओल्ड पेंसन योजना का दांव जयराम के लिए भारी पड़ता नज़र आ रहा है.

कांग्रेस के पास नहीं मुख्यमंत्री चेहरा

वही दूसरी तरफ कांग्रेस के पास कोई मुख्यमंत्री चेहरा नज़र नहीं आ रहा है. इसलिए कांग्रेस ने इसकी घोषणा को लेकर ख़ामोशी साधी हुई है. जिसमे भाजपा से खफा वोटर कांग्रेस को देख रहा है लेकिन असमंजस में है जिसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है. वही आम आदमी पार्टी मुस्लिम वोटर को तोड़ कर कांग्रेस को नुकसान पंहुचा सकती है.

क्या है समीकरण, कौन है निर्णायक वोटर ?

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियां खुमारी पर है। सभी राजनैतिक दल संभावित विजेता उम्मीदवार पर नज़र बंधे बैठी हैं। हालाकिं टिकट बंटवारे में जातीय समीकरण सदैव ही चुनाव रणनीति का खास हिस्सा रहा है। हिमाचल प्रदेश में भी कास्ट फैक्टर के आधार पर भी टिकटों का वितरण किया जाता है। राजनैतिक पर्यवेक्षकों की मानें तो हिमाचल प्रदेश में राजनीति के लिए ज्यादा जातीय समीकरण का गणित लगाने की अधिक गुंजाईश नहीं है। क्योंकि यहाँ पर 50 फीसदी से अधिक भी अधिक स्वर्ण मतदाता है। जिसमे से राज्य की कुल 20 सीटें ओबीसी व दलित वर्ग के लिए आरक्षित की गई है।

जानियें हिमाचल प्रदेश का जातीय समीकरण का गणित?

2012 के जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 68.8 लाख जनसँख्या है. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में वोटर की संख्या के अनुसार राज्य की जनसंख्या में 32 प्रतिशत राजपूत, जोकि सबसे ज्यादा हैं। वही 18 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता हैं। यदि दोनों को मिला दिया जाए तो स्वर्ण मतदाताओं की संख्या 50 प्रतिशत हो जाती है, जोकि भाजपा के लिए बड़ा सपोर्टर माना जाता है. इसके आलावा राज्य में ओबीसी वर्ग का वोटर 14 प्रतिशत ही हैं, साथ ही अनुसूचित जाति के वोटर्स की संख्या 25 प्रतिशत तक है। सभी वर्गों को बराबर प्रतिनिधित्व मिले, इसके लिए चुनाव आयोग ने भी राज्य में 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 3 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दी हैं।

किसके सर पर है किस जाति का हाथ

आपकों बता दें कि विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा को स्वर्ण समाज के लोगों का आशीर्वाद प्राप्त रहा जिनमें से 56 प्रतिशत ब्राह्मणों ने बीजेपी को वोट दिया, जबकि 35 प्रतिशत ब्राह्मण कांग्रेस के साथ रहे। वही राजपूतों का भी 49 फीसदी वोट बीजेपी की झोली में गया था. जबकि 36 प्रतिशत वोटर कांग्रेस के साथ रहे। राजनीति में दोनों पार्टियाँ स्वर्ण समाज के वोटर को लुभाने में राजनैतिक दांव पेच चलते रहते हैं। इसके आलावा ओबीसी वर्ग ने भी अधिकांश बीजेपी को ही वोट दिया था। आंकड़ों पर नज़र डाले तो 48 प्रतिशत ओबीसी वोट बीजेपी की झोली में गिरा था। कांग्रेस को 43 फीसदी वोट मिले। दलित वोट भी दोनों पार्टियों में लगभग बराबर-बराबर बंटे। 48 फीसदी दलित कांग्रेस के साथ गए जबकि 47 फीसदी ने बीजेपी का साथ चुना। राज्य में 67 फीसदी मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिले जबकि बीजेपी के खाते में 21 फीसदी मुस्लिम वोट गए।

राजपूत वोटर की रहेगी सत्ता में निर्णायक भूमिका

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के नतीजे रोचक पहलू यह भी निकल कर आया जिसमे चुनाव परिणामों में अहम् भूमिका निभाई, वो है राजपूत वोटर. आंकड़ो के अनुसार हिमचल प्रदेश की 48 सामान्य सीटों पर 33 राजपूत बिरादरी के विधायक चुने गए। इससे राज्य में राजपूतों की संख्या 50 फीसदी हो गई। जबकि राजपूत मतदाताओं की संख्या 36 प्रतिशत के आसपास है। भाजपा से 18 राजपूत जीते, कांग्रेस से 12 ने जीत हासिल की, 2 निर्दलीय राजपूत भी विधायक बने। वहीं सीपीआईएम से भी 1 राजपूत विधायक बने। इससे सम्भावना बन रही है की इस बार भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजपूतों की सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका रहेगी।

2017 के चुनावों के आंकड़े क्या कहते है ?

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला। हालांकि बीजेपी के सीएम कैंडिडेट प्रेमकुमार धूमल चुनाव हार गए थे। बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने नए सीएम चेहरे की घोषणा कर सत्ता में अधिकार बनाया. बात वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों की की जाये तो उसके परिणाम चौंकाने वाले रहें थे. राज्य में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला था, लेकिन मुख्यमंत्री पद के दावेदार खुद अपनी सीट नहीं बचा पाए थे । 2017 विधानसभा चुनाव में कुल 68 सीटों में से बीजेपी को 44 पर जीत मिली। कांग्रेस को 21 सीटें मिलीं, जबकि 3 सीटें अन्य के खाते में गईं। राज्य में यह चौंकाने वाला था कि मुख्यमंत्री पद के दावेदार प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को भी हार का मुंह देखना पड़ा था।

किसकों कितना पड़ा वोट

नवंबर 2017 में हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 68 विधान सभा सीटों में से 44 सीटें मिली। बीजेपी को कुल 48.8 फीसदी वोट मिला तो कांग्रेस को 41.7 प्रतिशत वोट ही प्राप्त हो सका । अब भारतीय जनता पार्टी के समक्ष बड़ी चुनौती है कि वह राज्य में अपनी सत्ता बरकार रखने के लिए प्रदेश के इस वोटिंग ट्रेंड को बनाए रखे। हालांकि कांग्रेस ने सवर्ण मतों को अपने पाले में लाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के परिवार को हथियार बनाने का काम किया है। वहीं भाजपा लगातार राजपूत नेताओं को आगे बढ़ा रही है ताकि वोट बैंक बना रहे।

राज्य में सत्ता रिपीट करने की चुनौती

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 में कांग्रेस 36 सीटें जीतकर राज्य की सत्ता पर काबिज हुई थी। लेकिन हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में वह सत्ता नहीं बचा पाई और मात्र 21 सीटें ही जीत पाई। 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 26 सीटें मिली थी लेकिन 2017 में उनको 18 सीटों का फायदा हुआ और पार्टी ने कुल 44 सीटें जीत लीं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी के सामने चुनौती है कि वह राज्य की सत्ता को रिटेन करे। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सक्रिय हैं और हाल ही में उन्होंने रोड शो किया था।

जाने 68 सीटों का जादुई समीकरण

वर्तमान में राज्य में कुल 68 विधानसभा क्षेत्र हैं और सरकार बनाने के लिए 35 सीटें जीतने की दरकार है। राज्य में लोकसभा की कुल 4 सीटें हैं और प्रत्येक लोकसभा में 17-17 विधानसभा सीटें शामिल रहती हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में राज्य की 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई हैं। वहीं 3 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। राज्य में 48 विधानसभा सीटों पर सामान्य वर्ग से कोई भी चुनाव लड़ सकता है।

काँगड़ा और मंडी है निर्णायक जिलें

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 15 विधानसभा सीटें हैं, जबकि मंडी जिले में 10 विधानसभा क्षेत्र शामिल है. हिमाचल की राजधानी शिमला में कुल 8 विधानसभा सीटें है, इसके आलावा चंबा जिले में 5, कुल्लू में 4, हमीरपुर 6 विधानसभा सीटें हैं। इसके साथ ही उना व बिलासपुर जिलों में 4-4 , सिरमौर में 5 और सोलन में 4 विधानसभा क्षेत्र है. वही प्रदेश के लाहौल स्पीति और किन्नौर में सिर्फ 1-1 विधानसभा सीटें हैं।

जाने हिमचल में है कितने मतदाता

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के अनुसार राज्य में कुल 25,68,761 पुरूष मतदाता पंजीकृत है । वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 24,27,166 थी। जबकि कुल वोटरों की संख्या 50,25,941 थी, जो मतदान के लिए पंजीकृत थे। हालांकि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में यह संख्या बढ़ चुकी है। आंकड़े बताते हैं कि हर पांच साल में राज्य में करीब 3 से 5 लाख नये मतदाता जुड़ जाते हैं। मतदान प्रतिशत की बात करें यहां औसतन 70-75 फीसदी से ज्यादा मतदान होता है।

लाहौल स्पिति में सबसे कम मतदाता

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में क्षेत्रफल के हिसाब से लाहौल स्पिति सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है लेकिन वोटरों के हिसाब से यहां सबसे कम मतदाता हैं।

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