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इलाहाबाद हाई कोर्ट के 'राम भरोसे' वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- 'ऐसे निर्देश न दें जो लागू न हो सके'

Deepa Sahu
21 May 2021 6:26 PM GMT
इलाहाबाद हाई कोर्ट के राम भरोसे वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- ऐसे निर्देश न दें जो लागू न हो सके
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उत्तरप्रदेश के स्वास्थ्य सुविधाओं को राम भरोसे बताने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।

उत्तरप्रदेश के स्वास्थ्य सुविधाओं को राम भरोसे बताने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार से कहा है कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सलाह के तौर पर देखें। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर भी रोक लगा दी। जिसमें हाईकोर्ट ने एक महीने में उत्तरप्रदेश सरकार को प्रत्येक गांव में ICU सुविधाओं के साथ दो एम्बुलेंस उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे निर्देश न दें जो लागू न हो सकें। उत्तरप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि एक महीने में यह उपलब्ध करवा पाना असंभव है।

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बीआर गवई की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि 17 मई को दिए गए उच्च न्यायालय के आदेशों को नहीं माना जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे आदेशों को नहीं जारी करना चाहिए जिसको लागू कर पाना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान उत्तरप्रदेश सरकार को भी हिदायत दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई आदेश नहीं दिया जाएगा जिससे हाईकोर्ट के अधिकारों की अवहेलना हो। साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम दोनों के बीच संतुलन लाने वाला आदेश जारी करेंगे।
बता दें कि पिछले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोविड मरीज संतोष कुमार के लापता होने के मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है। साथ ही हाई कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वे हर गांव में आईसीयू सुविधा और 2 एंबुलेंस उपलब्ध करवाए। साथ ही नर्सिंग होम और ऑक्सीजन प्लांट की भी व्यवस्था करने को कहा गया था। उत्तरप्रदेश सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। सुप्रीम कोर्ट में उत्तरप्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य में 97,000 गांव हैं और एक महीने की समय सीमा तक लागू करना असंभव है। ऐसे में इस फैसले पर रोक लगाई जानी चाहिए। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फ़िलहाल उत्तरप्रदेश सरकार को राहत प्रदान की है।
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