स्कूली बच्चों के भविष्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को दिया ये सुझाव
ऑनलाइन पढ़ाई का खर्च उठाने में अभिभावकों को आ रही दिक्कत पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा है कि शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया गया है. लेकिन देश में मौजूद 'डिजिटल डिवाइड' निर्धन परिवार के बच्चों की शिक्षा में बाधक बन रहा है. केंद्र और राज्य सरकारों को इस पर काम करना चाहिए. बच्चों तक ऑनलाइन शिक्षा के साधन पहुंचाने के लिए जरूरतमंद परिवारों की आर्थिक सहायता पर विचार करना चाहिए. मामला दिल्ली से जुड़ा है. निजी स्कूलों की संस्था 'एक्शन कमिटी ऑफ अनएडेड रिकोगनाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स' ने याचिका दायर की है. संस्था का कहना है कि हाईकोर्ट ने स्कूलों से बच्चों को मोबाइल, टैब या लैपटॉप जैसे साधन उपलब्ध करवाने के लिए कहा है. उनके लिए इस तरह का आर्थिक बोझ उठा पाना संभव नहीं है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सरकारी और प्राइवेट स्कूलों से बच्चों की सहायता के लिए कहना राइट टू एजुकेशन एक्ट, 2009 की भावना के अनुरूप है. लेकिन इसके लिए सरकार को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए.
बच्चे छोड़ रहे स्कूल
2 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "मैंने व्यक्तिगत रूप से भी देखा है कि मेरे स्टाफ में कुछ परिवार ऐसे हैं जहां एक मोबाइल पर सभी बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. अगर कोई घरेलू सहायिका का काम करने वाली महिला है या कोई ड्राइवर है, तो ऐसे माता-पिता लैपटॉप या मोबाइल का प्रबंध कैसे करेंगे?" बेंच की दूसरी सदस्य जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा, "ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों को देखिए. कोरोना के बाद से बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं. इसकी वजह यह भी है कि उन्हें या तो ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध नहीं या उनके पास इसके साधन नहीं. राज्य सरकारों को इस पर काम करने की जरूरत है."
सुनवाई के दौरान जजों की जानकारी में यह बात लाई गई कि सितंबर 2020 में आए हाईकोर्ट के आदेश को दिल्ली सरकार ने चुनौती दे रखी है. इसे सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में आदेश पर रोक लगाई थी. इस पर जजों ने मामले से जुड़े वकीलों से कहा कि वह चीफ जस्टिस से दरख्वास्त करें कि वह इससे जुड़ी सभी अपीलों की एक साथ सुनवाई के निर्देश दे. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह अभिभावकों की आर्थिक मदद के लिए योजना बनाए. जजों ने केंद्र सरकार से भी अनुरोध किया कि वह दिल्ली सरकार के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करे कि बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए. जजों ने कहा कि बड़ी कक्षा के बच्चों की फिजिकल पढ़ाई शुरू हो गई है. आगे छोटी कक्षा के बच्चे भी दोबारा स्कूल जाने लगेंगे. लेकिन उन तक ऑनलाइन शिक्षा के साधन पहुंचाना फिर भी अहम रहेगा. इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.