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दुनिया की पहली DNA बेस्ड वैक्सीन की सप्लाई भारत में शुरू, कोरोना के खिलाफ जंग में देश को मिला नया हथियार! जानिए किसे लगेगी?

jantaserishta.com
3 Feb 2022 6:31 AM GMT
दुनिया की पहली DNA बेस्ड वैक्सीन की सप्लाई भारत में शुरू, कोरोना के खिलाफ जंग में देश को मिला नया हथियार! जानिए किसे लगेगी?
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नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत को एक और हथियार मिल गया है. स्वदेशी कंपनी Zydus Cadila ने अपनी कोरोना वैक्सीन ZyCov-D की सप्लाई शुरू कर दी है. ये वैक्सीन 12 साल और उससे ऊपर के लोगों को दी जाएगी. हालांकि भारत में अभी इसे 18 साल से ऊपर के लोगों को लगाई जाएगी. इस वैक्सीन की खास बात ये है कि इसमें सुई का इस्तेमाल नहीं होगा. यानी ये वैक्सीन निडिल फ्री वैक्सीन है. इसे बिना सुई के ही दिया जाएगा. इसके अलावा ये वैक्सीन तीन डोज वाली है, जो इसे बाकी वैक्सीन से अलग बनाती है.

जायडस कैडिला (Zydus Cadila) की वैक्सीन जायकोव-डी (ZyCov-D) को केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में ही मंजूरी दे दी थी. हालांकि, अब तक इस वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं हो पाया था.
जायकोव-डी को खास बनाती 4 बातें...
1. तीन डोज वाली वैक्सीनः अभी तक दुनियाभर में जितनी वैक्सीन लगाई जा रही है, वो या तो सिंगल डोज हैं या डबल डोज. लेकिन जायकोव-डी पहली वैक्सीन है जिसकी तीन डोज लगाई जाएगी.
2. निडिल फ्री वैक्सीनः इसमें सुई का इस्तेमाल नहीं होगा. इसे जेट इंजेक्टर से लगाया जाएगा. इससे वैक्सीन को हाई प्रेशर से लोगों की स्किन में इंजेक्ट किया जाएगा. इस डिवाइस का आविष्कार 1960 में हुआ था. WHO ने 2013 में इसके इस्तेमाल की अनुमति दी थी.
3. DNA बेस्ड वैक्सीनः जायकोव-डी दुनिया की पहली DNA बेस्ड वैक्सीन है. अभी तक जितनी भी वैक्सीन हैं, वो mRNA का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन ये प्लाज्मिड-DNA का इस्तेमाल करती है.
4. स्टोरेज भी आसानः बाकी वैक्सीन की तुलना में इसका रखरखाव ज्यादा आसान है. इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है. इतना ही नहीं, 25 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी इसे 4 महीने तक रखा जा सकता है.
कितने अंतर से लगाए जाएंगे तीन डोज
इस वैक्सीन के तीन डोज 28-28 दिन के अंतर से लगाए जाएंगे. पहली डोज के बाद दूसरी डोज 28 दिन बाद और तीसरी डोज 56 दिन बाद लगाई जाएगी.
कैसे काम करती है ये वैक्सीन?
- जैसा कि पहले बताया कि जायकोव-डी एक प्लाज्मिड-DNA वैक्सीन है. ये वैक्सीन शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जेनेटिक मटेरियल का इस्तेमाल करती है.
- अभी जो वैक्सीन हैं वो mRNA तकनीक का इस्तेमाल करती हैं. इसे मैसेंजर RNA कहा जाता है. ये शरीर में जाकर कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने का मैसेज देती है.
- वहीं, प्लाज्मिड इंसानी कोशिकाओं में मौजूद एक छोटा DNA मॉलिक्यूल होता है. ये आमतौर पर बैक्टिरियल सेल में पाया जाता है. प्लाज्मिड-DNA शरीर में जाने पर वायरल प्रोटीन में बदल जाता है. इससे वायरस के खिलाफ मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है.
- इस तरह की वैक्सीन की एक खास बात ये भी होती है कि इन्हें कुछ ही हफ्तों में अपडेट भी किया जा सकता है. अगर वायरस म्यूटेट करता है तो इसे चंद हफ्तों में बदला जा सकता है.
- DNA वैक्सीन को ज्यादा असरदार और मजबूत माना जाता है. अब तक स्मॉलपॉक्स समेत कई बीमारियों की जो वैक्सीन मौजूद है, वो सभी DNA आधारित है.
कितनी कीमत होगी इसकी?
- केंद्र सरकार ने इस वैक्सीन के 1 करोड़ डोज ऑर्डर किए थे. इसकी सप्लाई कंपनी ने शुरू कर दी है. ये वैक्सीन अभी सरकार की ओर से मुफ्त दी जाएगी.
- कंपनी ने इसकी एक डोज की कीमत 265 रुपये रखी है. इसके अलावा हर एक डोज पर 93 रुपये जीएसटी भी लगेगा. यानी, एक डोज की कुल कीमत 358 रुपये होगी.
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