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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब में मोदी-मुखर्जी के खट्टे-मीठे रिश्तों की दास्तान, पीएम मोदी ने शपथ ग्रहण के लिए मांगा हफ्ते भर का समय, ये थी वजह

HARRY
7 Jan 2021 1:36 AM GMT
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब में मोदी-मुखर्जी के खट्टे-मीठे रिश्तों की दास्तान, पीएम मोदी ने शपथ ग्रहण के लिए मांगा हफ्ते भर का समय, ये थी वजह
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फाइल फोटो 

सार्क नेताओं को शपथ ग्रहण में बुलाने से पहले प्रणब से मिले

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की नई किताब The Presidential Years में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके खट्टे-मीठे रिश्तों की दास्तान है. इस किताब में जहां संसद से नदारद रहने और नोटबंदी को लेकर प्रणब मुखर्जी ने पीएम मोदी को आड़े हाथों लिया तो वहीं कई मुद्दों पर जमकर तारीफ भी की है.

प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों से साफ है कि चाहे मुखर्जी और मोदी अलग-अलग वैचारिक पृष्ठभूमि से आए हों लेकिन मुखर्जी के मन में पीएम मोदी और देश के प्रति उनके समर्पण को लेकर बहुत सम्मान था.
चुनाव जीतने के बाद पहली मुलाकात में मोदी तात्कालिक राष्ट्रपित मुखर्जी से मिलने आए तो एक अखबार की कतरन साथ लाए जिसमें मुखर्जी का पुराना भाषण था जो राजनीतिक रूप से स्थिर जनादेश की उम्मीद व्यक्त करता था. प्रणब अपनी किताब में लिखते हैं, "उन्होंने शपथ ग्रहण के लिए एक सप्ताह का समय मांगा तो मुझे हैरानी हुई. उन्होंने कहा कि वे गुजरात में अपने उत्तराधिकारी का मुद्दा सुलझाना चाहते हैं."
सार्क नेताओं को शपथ ग्रहण में बुलाने से पहले प्रणब से मिले
विदेश नीति पर मोदी की पकड़ से मुखर्जी प्रभावित थे. पीएम मोदी ने कई बार मुखर्जी से इस पर सलाह भी ली थी. अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क नेताओं को आमंत्रित करने का विचार भी उन्होंने मुखर्जी से साझा किया था और मुखर्जी ने इसके लिए उन्हें बधाई दी थी. साथ ही राष्ट्रपति ने उन्हें इस मुद्दे पर आईबी प्रमुख से बात करने को कहा क्योंकि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और श्रीलंका के राष्ट्रपति की सुरक्षा का मसला इससे जुड़ा हुआ था.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक जगह लिखा है, "अपने कार्यकाल के दौरान मेरा पीएम मोदी से बेहद सौहार्द्रपूर्ण रिश्ता था, हालांकि नीतिगत मुद्दों पर मैं कभी भी उन्हें अपनी सलाह देने से हिचकता नहीं था. ऐसे कई मौके आए जब मैंने जो चिंता जताई थी, उसे उन्होंने भी उठाया, मुझे यह भी यकीन है कि वे विदेश नीति की बारीकियों को जल्दी समझने लगे.''
राष्ट्रपति मुखर्जी ने समावेशी विकास के लिए उठाए गए कदमों पर मोदी सरकार को सराहा था. इसके लिए राजनीतिक मतभेद आड़े नहीं आए. संविधान की मर्यादा बनाए रखने के लिए मुखर्जी ने मोदी की सलाह को भी सराहा है. चुनाव के दौरान मोदी की मेहनत और परिश्रम से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी प्रभावित हुए थे.
'2014 में बीजेपी नहीं हासिल कर पाएगी बहुमत'
प्रणब मुखर्जी के अनुसार 2014 के चुनाव की शुरुआत में पीयूष गोयल के इस दावे को लेकर उन्हें संदेह था कि बीजेपी को 265 सीटें मिलेंगी. मुखर्जी ने अपनी जीवनी में लिखा है कि, "जब उन्होंने मोदी का बेहद सघन और व्यस्त चुनावी कार्यक्रम देखा तो वे उन्हें गंभीरता से लेने लगे. उन्होंने लिखा कि मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए जनता की पसंद बने और उन्होंने इस दायित्व को हासिल किया.
2019 में हैरान हुए प्रणब मुखर्जी
2019 के चुनाव नतीजे से प्रणब मुखर्जी को हैरानी हुई जब बीजेपी को अपने दम पर बहुमत मिलने के बावजूद नरेंद्र मोदी ने सहयोगियों के साथ सरकार बनाई. यह वादों पर टिके रहने वाले मोदी की तारीफ थी. जीएसटी शुरू करने के कार्यक्रम में मिले आमंत्रण से भी प्रणब मुखर्जी खुश थे. उन्होंने लिखा है, "मैं साढ़े तीन साल तक इस बिल को पारित कराने के लिए प्रयत्न करता रहा और बतौर राष्ट्रपति यह मेरे दस्तखत से कानून बनेगा. यह एक ऐतिहासिक संयोग होगा अगर मैं 30 जून को इसे लागू होने के मौके पर संसद के केंद्रीय कक्ष में मौजूद रहूं."
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