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कई देशों में कोरोना की तीसरी लहर की आहट, भारत में भी शुरू? गवाह है ये आंकड़े

jantaserishta.com
19 July 2021 2:42 AM GMT
कई देशों में कोरोना की तीसरी लहर की आहट, भारत में भी शुरू? गवाह है ये आंकड़े
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भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना महामारी की दूसरी लहर थमी हुई दिख रही है लेकिन अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. दुनिया के आंकड़े देखें तो हर रोज अभी भी साढ़े पांच लाख नए मरीज सामने आ रहे हैं और साढ़े आठ हजार मौतें कोरोना से हो रही हैं. दुनिया में अभी कोरोना के एक करोड़ 27 लाख एक्टिव मरीज हैं जो कि जून के मध्य में घटकर 1 करोड़ 16 लाख के लेवल पर आ गए थे. लेकिन अब इंडोनेशिया, ब्रिटेन, फिलीपींस जैसे कई देश नई लहर का सामना कर रहे हैं जबकि इटली, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे देशों के नए इलाकों में कोरोना के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. एक्सपर्ट इस नए ट्रेंड को कोरोना की तीसरी लहर की आहट बताने लगे हैं.

नीति आयोग के सदस्य(स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने कहा है कि भारत को खास तौर से ऐसे हालात में सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि हम हर्ड इम्युनिटी तक नहीं पहुंच सके हैं. केंद्र सरकार ने कहा कि कोरोना की इस लहर को रोकने के लिए अगले 125 दिन काफी अहम हैं. सरकार इसके लिए वैक्सीनेशन पर जोर दे रही है. देश में अब तक 40 करोड़ लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग चुकी है लेकिन संक्रमण पर लगाम लगती नहीं दिख रही.
भारत में कब तक कोरोना की तीसरी लहर का अंदेशा?
भारत में जहां दूसरी लहर से अभी राहत दिख रही है वहीं रोजाना 40 हजार के करीब नए मरीज अभी भी सामने आ रहे हैं और 500 के करीब मौतें हो रही हैं. लेकिन तीसरी लहर का खतरा अभी से आहट देने लगा है. ICMR के डिवीजन ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिकेबल डिजीज के प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा ने आशंका जाहिर की है कि अगस्त के अंत तक कोरोना वायरस की तीसरी लहर देश में आ सकती है. शुक्रवार को 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भी इस खतरे की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश तीसरी लहर के मुहाने पर खड़ा है. पीएम मोदी ने कहा कि दूसरी लहर से पहले जनवरी-फरवरी में हम जिस हालात में थे आज फिर वहीं खड़े हैं और थोड़ी सी भी लापरवाही फिर भारी पड़ सकती है.
किन देशों में तीसरी लहर ने दे दी दस्तक?
भारत में अप्रैल की तबाही के पहले ब्रिटेन, फ्रांस, इटली जैसे यूरोपीय देशों में कोरोना के खतरे ने सर उठाया था और फिर भारत में जो तबाही हुई उसे पूरी दुनिया ने देखा. आज फिर इन देशों में लापरवाही और कोरोना के केस दोनों बढ़ रहे हैं. खासकर डेल्टा, डेल्टा प्लस, कप्पा और लैम्ब्डा जैसे कोरोना वैरिएंट्स ने खतरे को और बढ़ा दिया है. इंडोनेशिया-फिलीपींस, साउथ कोरिया जैसे कई देशों में हालात बहुत तेजी से बिगड़ रहे हैं. हाल के हफ्तों में कोरोना के केस बढ़ने के बीच वियतनाम, थाईलैंड और साउथ कोरिया जैसे देशों में लॉकडाउन और नए प्रतिबंध लगाने पड़े हैं.
वैक्सीन की कमी भी बन रही संकट
कोरोना की नई लहर के बीच वैक्सीन की कमी भी संकट को बढ़ा रही है. दक्षिण कोरिया जहां महामारी से निपटने के तेज रेसपॉन्स की दुनिया ने पिछले साल तारीफ की थी आज कोरोना का नया प्रसार, संकट बन गया है. वैक्सीन सप्लाई की दिक्कतों के बीच वहां की 70 फीसदी आबादी अभी भी वैक्सीन की पहली डोज का इंतजार कर रही है. थाईलैंड ने जून में जोर-शोर से वैक्सीनेशन कैंपेन शुरू किया था लेकिन अभी तक सिर्फ 15 फीसदी आबादी को ही पहली डोज लग सकी है, इस बीच कोरोना के केस तेजी से बढ़ रहे हैं वहां. वहीं वियतनाम में सिर्फ 4 फीसदी लोगों को वैक्सीन लग सकी है.
साउथ कोरिया, जापान और थाईलैंड जैसे देश जो खुद भी वैक्सीन बना रहे हैं लेकिन अपनी पूरी आबादी के लिए पर्याप्त डोज उपलब्ध नहीं करा पा रहे. भारत में भी अप्रैल की तबाही के वक्त वैक्सीन को लेकर सवाल उठे थे. लेकिन भारत में करोड़ों डोज का उत्पादन हो रहा है. अप्रैल के कहर के वक्त भारत ने वैक्सीन सप्लाई विदेशों को रोक दी और देश में वैक्सीनेशन काम तेज किया. आज 40 करोड़ से अधिक आबादी को कम से कम एक डोज वैक्सीन की लग चुकी है. एक्सपर्ट वैक्सीनेशन को तीसरी लहर को रोकने में सबसे बड़ा हथियार बता रहे हैं.
एशिया के कई देशों और भारत के पड़ोस में बढ़ रहा संकट
-एशिया में सबसे तेजी से हालात इंडोनेशिया में बिगड़े हैं. इंडोनेशिया जहां दुनिया की चौथी सबसे बड़ी आबादी रहती है वहां पड़ोसी देशों से पहले वैक्सीनेशन का काम शुरू हुआ था. इंडोनेशिया ने चीन के साथ बात करके वैक्सीन हासिल की और लोगों को वैक्सीन लगाना शुरू किया. लेकिन अबतक वहां की सिर्फ 14 फीसदी आबादी को कम से कम एक डोज लगी है. आज के वक्त में इंडोनेशिया में 50 हजार से अधिक नए केस रोज आ रहे हैं और एक हजार से अधिक मौतें हो रही हैं. इंडोनेशिया में 5 लाख से अधिक एक्टिव मरीज अभी हैं. वहां ऑक्सीजन का संकट पैदा हो गया है. अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की मारामारी है. जकार्ता और वेस्ट जावा समेत कम से कम 9 प्रांतों के अस्पतालों में 80 फीसदी से ज्यादा बेड फुल हैं. इस हालात से निपटने के लिए इसी महीने देशभर में लॉकडाउन का ऐलान किया गया. लेकिन इसके बावजूद इंफेक्शन के केस कम नहीं हो रहे. एक्सपर्ट अभी और ज्यादा तबाही का अंदेशा जता रहे हैं.
-फिलीपींस में रोजाना 6 हजार से अधिक केस सामने आ रहे हैं. डेढ़ सौ ज्यादा लोगों की जान जा रही है. 50 हजार के करीब एक्टिव मरीज अस्पतालों में हैं.
-मलेशिया की बात करें तो वहां रोज 12 से 13 हजार के आसपास नए केस रोज आ रहे हैं. वहां सवा लाख के करीब एक्टिव केस हैं. जुलाई में अब तक मलेशिया में डेढ लाख के करीब नए मरीज सामने आ चुके हैं.
-जापान जो कि टोक्यो ओलंपिक की मेजबानी कोरोना के इस संकट में करने जा रहा है वहां नया संकट उत्पन्न होता दिख रहा है. टोक्यो ओलंपिक खेल गांव में कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी है और इसी के साथ पूरे टोक्यो में कोरोना इमरजेंसी लगा दी गई है. जापान में अभी रोज 3 हजार से अधिक केस सामने आ रहे हैं. रिकवरी के दोगुने अधिक नए मरीज रोज आ रहे हैं.
-साउथ कोरिया में जहां जून के मध्य में 500 के करीब केस आ रहे थे और कोरोना को पूरी तरह काबू में माना जा रहा था वहां आज डेली केस तीन गुना बढ़ गए हैं. 15 हजार से ऊपर एक्टिव केस हैं.
-टूरिस्टों का पसंदीदा देश थाईलैंड कोरोना की नई लहर से तेजी से प्रभावित हुआ है. जून में जहां 4 हजार के आसपास केस आ रहे थे आज वहां रोज 10 हजार के करीब नए मरीज सामने आ रहे हैं जबकि 100 के करीब मौतों का आंकड़ा भी रोज सामने आ रहा है. एक लाख से अधिक एक्टिव केस थाईलैंड में हैं. रिकवरी से डेढ़ गुना अधिक डेली केस आ रहे हैं.
-चीन के वैक्सीन पर पूरी तरह निर्भर भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के हालात भी फिर से बिगड़ने लगे हैं. रोजोना कोरोना के तीन हजार के करीब नए केस सामने आ रहे हैं. सिंध और पंजाब जैसे इलाकों में हालात बेकाबू हो रहे हैं. वहां रिकवरी से दो से तीन गुना अधिक नए केस आ रहे हैं.
-भारत के एक दूसरे पड़ोसी देश नेपाल में भी हालात दोबारा बेकाबू हो रहे हैं. जून में कोरोना की लहर थमने के बाद फिर वहां से रोज दो हजार से अधिक केस सामने आ रहे हैं. 26 हजार से अधिक एक्टीव मरीज देश में हैं. अब तक नेपाल में कोरोना से 9500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
-म्यांमार में जहां जून में 500 के करीब नए मरीज रोज सामने आ रहे थे वहीं आज 6 हजार से अधिक मरीज रोज सामने आ रहे हैं. सैन्य शासन के खिलाफ जारी प्रोटेस्ट के बीच देश में 60 हजार के करीब एक्टिव केस हैं. जुलाई में 1200 से अधिक लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है जबकि 60 हजार से अधिक मरीज सामने आए हैं.
-भारत के एक और पड़ोशी देश श्रीलंका में कोरोना के एक्टिव मरीज 20 हजार से अधिक हैं. जुलाई में सवा लाख से अधिक नए केस सामने आए हैं और 700 लोगों की मौत हुई है.
-बांग्लादेश में जुलाई में अबतक 75 हजार के करीब नए केस सामने आए हैं. जून के मध्य में जहां 3000 केस रोज आ रहे थे आज 12 हजार से ऊपर डेली केस हैं और 200 के करीब मौतें औसतन रोजाना हो रही हैं. बांग्लादेश में डेढ़ लाख से अधिक एक्टिव मरीज हैं. दूसरी ओर वैक्सीन की कमी कोरोना से लड़ने के अभियान को कमजोर कर रही है.
यूरोप का ट्रेंड भी दे रहा खतरे का संकेत
-बहुत तेजी से सबकुछ खोल रहे यूरोपीय देशों में भी कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक ने फिर लॉकडाउन की ओर लौटने को मजबूर कर दिया है. ब्रिटेन जहां यूरो और विंबलडन के आयोजनों के दौरान स्टोडियमों में भारी भीड़ देखी गई पिछले दो हफ्ते से कोरोना ने तेजी से वापसी की है. जून में कोरोना के केस कम होने पर ब्रिटेन ने सब कुछ खोलने का अभियान शुरू किया था लेकिन अब डेल्टा और लैम्ब्डा वैरिएंट ने खतरे को बढ़ा दिया है. जून के आखिर में जहां डेली कोरोना केस 5 हजार के करीब थे वहीं ये आंकड़ा 16 जुलाई को 50 हजार को पार कर गया. एक्टिव केस 8 लाख के पार हो गए हैं.

-फ्रांस ने बिना वैक्सीनेटेड टूरिस्ट्स पर बैन लगा दिया है और वैक्सीन लगवा चुके लोगों के लिए कुछ राहत का ऐलान किया है. फ्रांस में पिछले हफ्ते से कोरोना के केस तेजी से बढ़ रहे हैं. अप्रैल के मध्य में जहां फ्रांस में 42 हजार के करीब रोज केस आ रहे थे जून में घटकर 2 हजार के लेवल पर आ गए थे. लेकिन अब फिर हालात बेकाबू हैं और रोजोना के केस 11 हजार से भी ऊपर जा चुके हैं. रिकवरी से 5 गुना अधिक नए केस रोज सामने आ रहे हैं. ये ट्रेंड फ्रांस में आने वाले खतरे का संकेत दे रहे हैं.

-वहीं इटली में जून के मध्य में जहां कोरोना के केस 700 के आसपास रोज आ रहे थे आज चार गुना ज्यादा आ रहे हैं. रिकवरी से तीन गुना ज्यादा डेली केस इस देश में भी लोगों की चिंता बढ़ा रहे हैं.

दुनिया के बाकी हिस्सों का हाल
-ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में कोरोना के केस बढ़ने के बीच लॉकडाउन फिर से लगाना पड़ा. जरूरी कामों के अलावा किसी के भी घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई है. नॉन-एसेंसियल प्रतिष्ठान, रिटेल स्टोर्स आदि पर भीड़ रोकने के लिए सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं.

-रूस में जून के पहले हफ्ते में कोरोना की ताजी लहर बढ़नी शुरू हुई थी वो अब भी तेजी से बढ़ती दिख रही है. जून के पहले हफ्ते में जहां रोज 8-9 हजार केस सामने आ रहे थे वो आज 25 हजार के लेवल पर आ पहुंचा है. एक्टिव केस भी साढ़े चार लाख से अधिक हो चुके हैं. पिछले तीन दिनों में रोजाना 700 से अधिक लोगों की मौत हुई है. रिकवरी केस से डेली केस आगे बढ़ चुकी है.

-अमेरिका में जहां जुलाई के शुरू में 12-13 हजार केस रोज सामने आ रहे थे आज 40 हजार के लेवल को पार कर गए हैं. अभी भी अमेरिका में 50 लाख एक्टिव कोरोना केस हैं. 1 जुलाई से अब तक 4 हजार लोगों की मौत अमेरिका में कोरोना से हुई है.

-ब्राजील जो कि कोरोना की दूसरी लहर में भारत जैसी तबाही झेल चुका है फिर नए वैरिएंट्स के कारण ताजा लहर का सामना कर रहा है. 1 जुलाई से अब तक वहां 7 लाख से अधिक केस सामने आ चुके हैं. डेली केस 50 हजार के लेवल पर बने हुए हैं. 8 लाख से अधिक एक्टिव केस हैं. अभी भी रोजाना मौतों का आंकड़ा 1500 से अधिक है. डेली केस रिकवरी के केस का डेढ़ गुना बना हुआ है.
भारत में चिंता बढ़ाने वाले ट्रेंड
भारत की बात करें तो अभी रोजाना के केस 40 हजार के आसपास बने हुए हैं और अप्रैल की लहर थमती दिख रही है लेकिन केरल-महाराष्ट्र-तमिलनाडु में कोरोना संक्रमण का काबू में नहीं आना, तमिलनाडु और बंगाल जैसे राज्यों में नया उभार और पूर्वोत्तर के राज्यों में कोरोना का ताजा प्रसार चिंता बढ़ा रहा है. इसके अलावा डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते केस, 15 से अधिक राज्यों में डेल्टा प्लस वैरिएंट के केस सामने आने और राजस्थान में आए कप्पा वैरिएंट के केस नई लहर का संकेत दे रही है. एक्सपर्ट अगस्त के आखिर में कोरोना की तीसरी लहर का अनुमान जता रहे हैं.
हाल के दिनों में लॉकडाउन के नियमों में मिली ढील के बाद बाजारों में जैसी भीड़ और लापरवाही दिख रही है, इसके अलावा हिमाचल और उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में जैसी भीड़ दिखी वो आने वाले खतरे को और बढ़ा सकती है. देश में भले ही 40 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन की एक डोज लग चुकी है लेकिन आबादी के हिसाब से ये बहुत ज्यादा नहीं है. इसके साथ ही तीसरी लहर में बच्चों को लेकर खतरे की आशंकाएं जताई जा रही हैं जबकि बच्चों का वैक्सीनेशन अबतक शुरू नहीं हो पाया है. ऐसे में तमाम एक्सपर्ट अभी से चेत जाने की सलाह दे रहे हैं ताकि अप्रैल-मई जैसी तबाही भारत में फिर से न दिखे.


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