इस मंदिर के खंभों से आती है गाने की आवाज, राज जानने के लिए अंग्रेजों ने काट दिए थे स्तंभ
जनता से रिश्ता वेबडेस्क । आज के रहस्य में हम आपको विरुपाक्ष मंदिर के बारे में बताएंगे। भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिरों में शामिल यह रहस्यमयी मंदिर कर्नाटक के हम्पी में स्थित है। मान्यता है कि हम्पी रामायण काल की किष्किंधा है। इस मंदिर में भगवान शिव के विरुपाक्ष रूप की पूजा होती है। यह प्राचीन मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर में भी शामिल है। इस मंदिर की कई खासियत है और इससे रहस्य भी जुड़ा हुआ है। इस मंदिर के रहस्य को अंग्रेजों ने भी जानने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
भगवान विरुपाक्ष और उनकी पत्नी देवी पंपा को समर्पित इस मंदिर की विशेषता है कि यहां का शिवलिंग दक्षिण की तरफ झुका हुआ है। धार्मिक मान्यता है कि रावण ने भगवान राम से युद्ध में जीत के लिए शिवजी की आराधना की। इसके बाद भगवान शंकर जब प्रकट हुए, तो रावण ने उनसे लंका में शिवलिंग की स्थापना करने को कहा।
रावण के बार-बार प्रार्थना करने पर भगवान शिव राजी हो गए, लेकिन उन्होंने उसके सामने एक शर्त रख दी। शर्त यह थी कि शिवलिंग को लंका ले जाते समय नीचे जमीन पर नहीं रखना है। रावण शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था, लेकिन उसने रास्ते में एक व्यक्ति को शिवलिंग को पकड़े रहने के लिए दे दिया, लेकिन वजन ज्यादा होने की वजह उसने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया। तब से ही यह शिवलिंग यहीं रह गया और हजारों कोशिशों के बाद भी नहीं हिलाया जा सका।
विरुपाक्ष मंदिर की दीवारों पर उस घटना के चित्र बनाए गए हैं। इसमें दिखाया है कि रावण भगवान शंकर से पुन: शिवलिंग को उठाने की प्रार्थना कर रहा है, लेकिन भगवान शिव मना कर देते हैं। मान्यता यह भी है कि यह भगवान विष्णु का निवास स्थान था, लेकिन उन्होंने इस जगह को रहने के लिए कुछ अधिक ही विशाल समझा और क्षीरसागर वापस चले गए।
बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 500 साल पुराना है। द्रविड़ स्थापत्य शैली में बने इस मंदिर का गोपुरम 500 साल से पहले बना था जो 50 मीटर ऊंचा है। भगवान शिव और देवी पंपा के अलावा यहां पर कई छोटे-छोटे मंदिर हैं। विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमाह देवी ने विरुपाक्ष मंदिर को बनवाया था। इस मंदिर को पंपावती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंदिर की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस मंदिर के कुछ खंभों से संगीत यानी गाने की आवाजा आती है। इसलिए उनको म्यूजिकल पिलर्स भी कहते हैं। कहा जाता है कि अंग्रेजों ने खंभों से संगीत कैसे निकलता है यह जानने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने इस मंदिर के खंभों तोड़कर देखा, तो वह हैरान रह गए, क्योंकि खंभे अंदर से खोखले थे और कुछ भी नहीं था। इस रहस्य का आज तक पता नहीं चला पाया है और इसे रहस्यमयी मंदिर कहा जाता है।