स्कूल टीचर की छह महीने से सैलरी बकाया थी। वह इस उम्मीद में अपने कांट्रैक्टर के पास पहुंचा कि बकाया पैसे मिलेंगे तो आर्थिक परेशानी कुछ दूर होगी। लेकिन कांट्रैक्टर ने उसके साथ जो किया उसने टीचर की आर्थिक तंगी दूर करने के बजाए और बढ़ा दी। कांट्रैक्टर ने उसे एक घोड़ा पकड़ा दिया। कहा कि आठ दिन बाद स्कूल से पैसे लेकर उसे देगा, लेकिन 15 दिन बीत जाने के बावजूद कांट्रैक्टर का कुछ अता-पता नहीं है। अब स्कूल टीचर अपने साथ घोड़े का भी खर्च उठाने को मजबूर है।
यह आपबीती है मध्य प्रदेश के धार जिले के रहने वाले अर्जुन कटारे की। न्यूज 18 की खबर के मुताबिक अर्जुन एक प्राइवेट स्कूल में टीचर था। यहां बच्चों को घुड़सवारी की ट्रेनिंग देता था। स्कूल से उसे छह महीने तक सैलरी नहीं मिली थी। उसके बाद लॉकडाउन लगा और स्कूल बंद हो गया। अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान अर्जुन कांट्रैक्टर सचिन के पास पहुंचा जिसने उसकी जॉब स्कूल में लगवाई थी। कांट्रैक्टर ने पैसे देने के बजाए अपना घोड़ा अर्जुन को दे दिया। साथ ही कहाकि आठ दिन बाद वह उसे पैसे दे देगा और घोड़ा ले लेगा, लेकिन आज तक सचिन का कुछ अता-पता नहीं है।
इस बीच अर्जुन ने स्कूल प्रशासन से भी पैसे के लिए संपर्क किया, लेकिन उन लोगों ने उसे सीधे तौर पर पैसे देने से मना कर दिया। स्कूल मैनेजर का कहना है कि अर्जुन को हॉर्स ट्रेनर की जॉब कांट्रैक्ट पर दी गई थी। इसके पैसे कांट्रैक्टर को दिए जा रहे थे। ऐसे में अब अर्जुन को अपने कांट्रैक्टर से पैसे के लिए पूछना चाहिए। फिलहाल स्कूल बंद है और कुछ पता नहीं कि कब खुलेगा। वहीं पहले से ही अपने परिवार को पालने में असमर्थ अर्जुन अब इस घोड़े को लेकर पशोपेश में है। उसे समझ नहीं आ रहा है कि घोड़े के लिए 100 रुपए प्रतिदिन का इंतजाम कहां से करे।