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'दृश्यम' फिल्म जैसा दृश्य, पुलिस ने खोला कत्ल का राज

Nilmani Pal
22 Feb 2022 3:37 AM GMT
दृश्यम फिल्म जैसा दृश्य, पुलिस ने खोला कत्ल का राज
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खुलासा

कुछ दृश्य ऐसे होते हैं, जो होते तो हैं लेकिन दिखते नहीं. जैसे एक फर्श के अंदर छुपाया हुआ एक दृश्य जो करीब दो सप्ताह बाद ज़मीन खोद कर निकाला गया. दृश्य एक लाश का जिसे यूपी के फिरोज़ाबाद में बिलाल नगर के एक घर के फर्श में दुनिया की नज़रों से ओझल कर छुपाया गया था. मगर जब ये दृश्य सामने आया तो उसने सभी की आंखें खोल दी.

राजस्थान की अजमेर पुलिस को इंफॉर्मेशन मिली कि यूपी में फिरोज़ाबाद के एक मकान में एक लाश है. भीड़ भाड़ वाले उस पूरे इलाके में किसी को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि उनके इलाके में बन रहे नए मकान में इतना बड़ा राज़ दफ्न है कि उसे खोदने के लिए करीब 450 किमी दूर राजस्थान से अजमेर पुलिस आएगी. करीब 3-4 घंटे की मशक्कत के बाद जब फिरोज़ाबाद के बिलाल नगर के उस मकान के फर्श को खोदा गया तो उसमें एक लाश मिली. इलाके के लोग बिलकुल अनजान थे कि ये लाश किसकी है, कैसे यहां आई और उसे खोदने के लिए राजस्थान की पुलिस यहां क्यों आई है?

मामले की तफ्तीश आगे बढ़ी तो पता चला कि मरने वाले के सिर पर लोहे के सरिया से हमला किया गया था और जब वो मर गया तो उसे घर में उस जगह पर दफ्नाया गया, जहां फर्श का काम होना बाकी था. ताकि किसी को शक़ भी ना हो कि फर्श के नीचे क्या है और ये राज़ टाइलों के नीचे ही हमेशा हमेशा के लिए दफ्न हो जाए. जिन्हें हिंदी फिल्में देखने का शौक है उन्होंने राज़ को हमेशा हमेशा के लिए दफ्नाने का ये तरीका 'दृश्यम' फिल्म में देखा होगा. मगर इस मामले में अभी कई सवाल थे, जिनका जवाब सामने आना बाकी था.

सवाल दर सवाल

- लाश मकान के फर्श के नीचे किसने दबाई?

- मरने वाला कौन था और उसे कैसे मारा गया?

- लाश को ढूंढते हुए राजस्थान पुलिस यूपी क्यों आई?

- लाश का राजस्थान के अजमेर से क्या कनेक्शन था?

- लाश को यूपी के फिरोज़ाबाद में क्यों दफ्नाया गया?

- मरने वाला इस मकान में मर्ज़ी से आया या उसे लाया गया?

सवाल कई हैं, और उनके जवाब भी ज़रूरी है. मगर इन्हें सिलसिलेवार ढंग से समझना होगा. तो इन सवालों का जवाब उसी जगह से ढूंढना शुरु करते हैं, जिस जगह पर राजस्थान की अजमेर पुलिस को ये सवाल गड़े हुए मिले. मरने वाला नितेश जैन नाम का एक शख्स है, जो राजस्थान के अलवर का रहने वाला है और वहीं प्रॉपर्टी डीलिंग का काम किया करता था. यूं तो नितेश जैन इसी महीने की पहली तारीख से घर नहीं लौटा था, मगर घरवालों ने पुलिस में इस बात की रिपोर्ट 7 फरवरी को दर्ज कराई.

घरवालों ने जताया शक

एफआईआर में घरवालों ने शक़ ज़ाहिर किया कि इलाके का एक हिस्ट्रीशीटर हरि लंगड़ा और उसके साथी नितेश का पिछले कई दिनों से पीछा कर रहे थे, फोन पर उसे जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं. इस बात का ज़िक्र नितेश ने अपने भाई से भी किया था, नितेश की गुमशुदगी में शक़ का एंगल भी था. लिहाज़ा पुलिस ने इसी दिशा में फौरन अपनी पड़ताल आगे बढ़ाया.

नितेश के खिलाफ हत्या और सट्टेबाजी का केस

हालांकि जब पुलिस जांच शुरु हुई तो पता चला कि नितेश का दामन भी कोई बहुत पाक साफ नहीं था. उस पर सट्टे का अवैध कारोबार करने के अलावा हत्या का भी एक मुकदमा कोर्ट में चल रहा है. जांच में ये भी पता चला कि नितेश पिछले कुछ वक्त से एक शख्स के संपर्क में था. जिससे पिछले कुछ दिनों में उसकी काफी बातचीत हो रही थी. पुलिस ने उस शख्स से पूछताछ की तो पता चला कि नितेश उससे हथियार की मांग कर रहा था. मगर सवाल ये था कि आखिर नितेश को हथियार चाहिए क्यों था?

ये इस मर्डर मिस्ट्री में एक और पेंच था. या यूं कहे कि ये सबसे अहम गुत्थी थी जिसके सुलझते ही उलझा हुआ ये मामला सुलझता चला जाएगा. लिहाज़ा पुलिस ने इस मामले से जुड़ी हर छोटी बड़ी चीज़ की जानकारी इकट्ठा करनी शुरु की. इस दौरान पुलिस को प्राइमा फेसी कत्ल की एक वाजिब वजह नज़र आई.

हरि लंगड़ा की पत्नी पर थी नितेश की नजर

वो वजह थी हरि सोनकर उर्फ हरि लंगड़ा. अजमेर का हिस्ट्रीशीटर. कहते हैं कि सट्टे के अवैध कारोबार के दौरान नितेश जैन हिस्ट्रीशीटर हरि लंगड़ा के संपर्क में आया. एक मामले में जेल की सज़ा काटने के दौरान नितेश जेल में भी उसके साथ कुछ दिन रहा. वहां से जमानत पर रिहा होने के बाद नितेश का हरि लंगड़ा के घर आना जाना हो गया, उसी दौरान नितेश की नज़र हरि लंगड़ा की पत्नी पर पड़ी. आग दोनों तरफ बराबर लग गई तो मिलना जुलना बढ़ने लगा. नितेश तब भी उसके घर जाने लगा जब हरि लंगड़ा वहां नहीं होता था.

कत्ल के लिए 20 लाख की सुपारी

नितेश और हिस्ट्रीशीटर हरि लंगड़ा की बीवी की अभी आंखमिचौली चल ही रही थी कि इस दौरान हरि लंगड़ा को एक मामले में जेल हो गई. अब नितेश और लंगड़ा की बीवी बेखौफ मिलने लगे और करीब 6 महीने पहले एक रोज़ नितेश हरि लंगड़ा की बीवी को लेकर भाग गया. ऐसी बातें छुपती नहीं हैं, जेल में जब हरि लंगड़ा को ये बुरी खबर सुनाई गई तो वो आग बबूला हो गया. जेल से बाहर आने का इंतज़ार करने लगा और जैसे ही उसे ज़मानत मिली. उसने नितेश के मर्डर का कॉन्ट्रैक्ट निकाल दिया. लंगड़ा ने कहा कि जो भी नितेश को मारेगा उसे वो पैसों से खुश कर देगा, मुंहमांगी कीमत देगा. जिसके बाद 20 लाख रुपये में नितेश की सुपारी राजस्थान के ही मनोज यादव नाम के एक हिस्ट्रीशीटर ने ली.

इसके बाद मनोज यादव ने इस कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का सौदा अपने साथियों के साथ 15 लाख रुपये में तय कर दिया, मनोज ने अजमेर के गौतम सिंह, इटावा के कल्लू, खवुआ और अलवर गेट के देवेंद्र यादव को हत्या की ये सुपारी ट्रांसफर कर दी. नितेश को भी पता था कि हरि लंगड़ा ने उसकी मौत की सुपारी निकाल दी. लिहाज़ा वो खुद की हिफाज़त के लिए हथियार की तलाश में था. ऐसे में कल्लू और खवुआ हथियार दिलाने की बात कहकर नितेश को एक फरवरी को फिरोजाबाद ले आए.

सिर पर सरिया मारकर किया गया कत्ल

नितेश इस बात से अनजान था कि जिनके साथ वो हथियार लेने जा रहा है, दरअसल वही उसकी मौत की सुपारी लेकर बैठे हैं. कल्लू और उसके साथी नितेश को लेकर फिरोज़ाबाद में बिलाल नगर के अपने घर में गए और वहां नितेश के सिर में लोहे का सरिया मारकर उसकी हत्या कर दी. इसके बाद नितेश की लाश को उसी घर के अंदर फर्श के नीचे गाड़ दिया. इसके बाद उसी जमीन पर पक्का फर्श बनवा दिया गया.

काम खत्म होने के बाद 2 फरवरी को मनोज यादव ने हरि लंगडे से 10 लाख रुपये लेकर कल्लू को दे दिए थे. बाकी के 5 लाख रुपये बाद में देने की बात हुई थी. 7 फरवरी को पुलिस को तहरीर मिली और शुरुआती जांच में हरि लंगड़ा की बीवी का एंगल आते ही पुलिस को समझ में आने लगा था कि मामला किस तरफ जा रहा है. इसके बाद हथियार के लिए नितेश की बातचीत ने पुलिस को हत्यारों तक पहुंचने का सुराग दे दिया.

ऐसे पकड़े गए कातिल

पुलिस ने सबसे पहले सर्विलांस के जरिए मनोज को दबोचा. उससे पूछताछ के आधार पर हरि लंगड़ा पकड़ा गया. लेकिन कल्लू ने जिन दो लोगों के साथ मिलकर हत्या को अंजाम दिया था, उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी. इसलिए पुलिस ने मनोज के जरिए ही दूसरे आरोपियों को पकड़ने की योजना बनाई.

पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया और लाखों रुपये का डमी तैयार कराया गया, जिसमें ऊपर के कुछ असली नोट और बाकी कागज के टुकड़े लगाकर एक बैग तैयार किया गया. इस बैग को मनोज के जरिए कल्लू तक पहुंचाने की तैयारी की गई. इस तरह कल्लू और इमरान जब मनोज से पैसे लेने के लिए अजमेर पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें धर दबोचा. इसके बाद उनसे पूछताछ कर नितेश की लाश को फिरोज़ाबाद के उस घर से बरामद किया गया.


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