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नशे व जल्द चर्चित होने की चाह में हो रहा युवाओं का दुखद अंत

jantaserishta.com
30 Oct 2022 5:22 AM GMT
नशे व जल्द चर्चित होने की चाह में हो रहा युवाओं का दुखद अंत
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मनाली (आईएएनएस)| गुरुग्राम के दो पर्यटक मई में सेल्फी लेने के दौरान कसोल के पास पार्वती नदी में बह गए।
इनमें से एक का शव 15 दिनों के तलाशी अभियान के बाद बरामद किया गया था।
त्वरित प्रसिद्धि की चाह में मनाली की यात्रा पर आए हैदराबाद के वी.एन.आर. विग्नाना ज्योति इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के 24 विद्यार्थी ब्यास नदी में डूब गए।
इस बात से अनजान कि मौत उनसे कुछ ही मिनटों की दूरी पर खड़ी है, विद्यार्थी गरजती नदी के किनारे बोल्डर पर फोटो शूट करने के लिए खड़े होते हैं, इसी दौरान अचानक पानी की तेज लहर आती है और सभी विद्यार्थियों को बहा ले जाती है।
स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि हर पर्यटन सीजन में कुल्लू-मनाली क्षेत्र से लगभग आधा दर्जन ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां पर्यटक सेल्फी या तस्वीरें लेते नदी की बहाव की चपेट में आ जाते हैं।
हाल ही एक इंजीनियरिंग कॉलेज के सात छात्र भ्रमण के लिए पहाड़ियों पर निकले। भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के बगैर वे कुल्लू जिले की बर्फीली पहाड़ियों पर 78 घंटे से अधिक समय तक फंसे रहे। इसके बाद बचाव दल ने उन्हें 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित बर्फ से ढकी चंद्रखानी चोटी से निकाला।
अधिकारियों ने आईएएनएस से स्वीकार किया कि बचाव उपकरणों के बिना नदियों में कई दिनों तक डूबने या दुर्गम इलाकों में फंसे रहने की घटनाएं सामाजिक व्यवहार में बदलाव का संकेत देती हैं।
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार नदी में डूबने या दुर्घटना आदि होने की अधिकतर घटनाएं मई से जुलाई और अक्टूबर से दिसंबर तक पर्यटन की गतिविधियां तेज होने पर कुल्लू-मनाली क्षेत्र में नदी के किनारे से अधिक होती है। कई और घातक घटनाओं का तो विवरण ही सामने नहीं आ पाता।
देशी-विदेशी पर्यटकों का साल दर साल हिमाचल प्रदेश के प्रति आकर्षण बढ़ता ही जा रहा है। राज्य के पर्यटन के प्रति युवाओं का रूझान, मुख्य रूप से कॉपोर्रेट पेशेवरों का बढ़ा है। वे राज्य में नशा व नशीले पदार्थो के व्यापार की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं।
नशीले पदार्थों की लालच में वे राज्य के दूर-दराज इलाकों में भी पहुंच रहे हैं।
नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी स्वीकार करते हैं कि राज्य की सुरम्य घाटियां और नशीले पदार्थ सोशल मीडिया को भी प्रभावित करता है। लोग ब्लॉगिंग या इंस्टाग्राम या फेसबुक के माध्यम से दर्शकों के एक बड़े वर्ग तक पहुंच रहे हैं और अपने साथियों व प्रशंसकों से पर्वत के प्रति अपने उन्मादी प्रेम पर टिप्पणी के लिए कह रहे हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुछ लोगों के लिए पहाड़ों में लंबी पैदल यात्रा और स्नोशूइंग के दौरान ड्रग्स का इस्तेमाल करना एक सुरक्षित तरीका है।
कुल्लू घाटी भांग की खेती के लिए कुख्यात है। पुलिस और नारकोटिक्स विंग द्वारा इसे नष्ट करने के लिए कई अभियान चलाया, लेकिन इसके उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
चंडीगढ़ के पत्रकार और क्राइम थ्रिलर 'हाई ऑन कसोल' के लेखक आदित्य कांत का मानना है कि स्वभाव से जिज्ञासु होने के कारण युवा हमेशा नशे की लत के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। लेकिन आजकल जिस बात ने उन्हें और अधिक असुरक्षित बना दिया है वह है सोशल मीडिया के माध्यम से अपने कृत्यों के लिए दिखावा करने और लोगों की प्रंशसा प्राप्त करने की प्रवृत्ति।
सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से वे अपने कृत्यों को लोगों के सामने आने के लिए उन्मादी रहते हैं।
आदित्यकांत ने कहा कि कई युवाओं से मुलाकात के दौरान पता चला कि साहसिक यात्रा की योजना बनाते समय उनके मन में सोशल मीडिया के प्रति अत्यधिक क्रेज रहता है और सुरक्षा या सावधानी को सबसे कम महत्व देते हैं।
कुल्लू शहर में अपने शुरुआती साल बिताने वाले कांत ने आईएएनएस को बताया कि ऐसी यात्राओं का वास्तविक उद्देश्य पूरी तरह खत्म हो चुका है।
अब लोग चाहते हैं कि दुनिया यह जाने कि छुट्टियों के लिए वे कहां गए थे, क्या खाया था, क्या पहना था आदि।
कांत को हाल ही में अहमदाबाद इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल में वक्ता के रूप में आमंत्रित किए गए कांत ने युवाओं के बीच नशीली दवाओं की लत और पर्यावरण के क्षरण के मुद्दे पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि नशे की लत किसी चाहे वह ड्रग्स की हो या सोशल मीडिया की, बहुत ही हानिकारक साबित हो रही है। जो लोग ड्रग्स के साथ-साथ सोशल मीडिया के आदी हैं, वे एक घातक कॉकटेल की ओर बढ़ रहे हैं।
उनके उपन्यास 'हाई ऑन कसोल' के पात्रों में से एक दिल्ली का एक किशोर है जो युवाओं की मन:स्थिति को चित्रित करता है।
कांत ने अपने उपन्यास में 'फ्रोजन सेल्फी' नामक एक अध्याय में काल्पनिक कहानी के माध्यम से वर्णन किया है कि कैसे दिल्ली की एक किशोरी हैजेल एक चट्टान पर सेल्फी लेते समय पार्वती नदी में फिसल जाती है और युवक उसे बचाता है। दोनों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है।
कांत ने उल्लेख किया है कि हाइजेल को एक अपवाद माना जा सकता है, नदी के किनारे तस्वीरें लेते समय उसमें गिरने वाले अधिकांश पर्यटकों को बचाया नहीं जा सका।
इस उदाहरण के माध्यम से कांत ने पर्यटकों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि उन्हें सुरम्य स्थलों से दूर नहीं होना चाहिए और खतरनाक चट्टानों पर चढ़ना नहीं चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा करने से रोकना मुश्किल हो सकता है, लेकिन उन्हें इसके खतरों की समझ होनी चाहिए।
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