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गठबंधन के साथ रिश्ता भी टूटा! गिफ्ट में दी फॉर्च्यूनर वापस दी गई
jantaserishta.com
11 Jun 2022 10:43 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
जानें पूरा मामला।
लखनऊ: सियासत में समीकरण बदलते रहते हैं. बदलते समीकरणों में काफी कुछ बदल जाता है. किसी को सवारी मिल जाती है तो कोई पैदल हो जाता है. सवारी सत्ता की सुनने को मिलती थी लेकिन अब एक पार्टी को बदले समीकरणों के बीच कार से हाथ धोना पड़ा है. बात हो रही है कभी समाजवादी पार्टी की गठबंधन सहयोगी रहे महान दल की.
महान दल ने सपा से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया तो जवाब में सपा ने केशव देव मौर्य को दी गई फॉर्च्यूनर कार वापस मांग ली है. महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने भी ये कार सपा को लौटा दी है. सपा की ओर से उदयवीर सिंह ने केशव देव मौर्य से फॉर्च्यूनर कार वापस करने के लिए कहा था. केशव देव मौर्य की उदयवीर सिंह के साथ हुई वॉट्सएप चैट भी सामने आई है.
सामने आए चैट में केशव देव मौर्य ने सपा के एमएलसी उदयवीर सिंह को मैसेज कर कहा है कि जो फॉर्च्यूनर कार मुझे अलॉट की गई थी, उसे आपने वापस मांगा है. उन्होंने ये भी लिखा है कि वो फॉर्च्यूनर कार बैक करते समय पोल से टकरा गई है. आगरा की एजेंसी में उसकी मरम्मत हो रही है. महान दल के अध्यक्ष ने आगे ये भी लिखा है कि किसी को अथॉरिटी लेटर देकर मंगा लें या बन जाने के बाद उसे वापस भेज देंगे.
केशव देव मौर्य ने इसके बाद एक और मैसेज किया है जिसमें लिखा है कि सपा के पदाधिकारी रिंकू यादव आपके (उदयवीर सिंह) के आदेश का हवाला देकर बगैर रिपेयरिंग के ही फॉर्च्यूनर कार तुरंत वापस ले जाने पहुंचे हैं. एजेंसी से कार दिला दे रहा हूं. उदयवीर सिंह ने इसके जवाब में ओके लिखा है. गौरतलब है कि महान दल के अध्यक्ष को सपा ने दिवाली के समय ये कार गिफ्ट की थी.
बता दें कि महान दल की ओर से चंद दिन पहले ही सपा के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया गया था. इस ऐलान के बाद अखिलेश यादव नाराज हुए तो अब सपा ने महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य को गिफ्ट की गई फॉर्च्यूनर कार वापस मंगा ली है. इस कार का रजिस्ट्रेशन सपा के सचिव के नाम से है.
यूपी में कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) और महान दल के बीच गठबंधन हुआ था. दोनों दलों के नेता एक साथ एक मंच से सूबे की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सत्ता को उखाड़ फेंकने का दंभ भरते नजर आ रहे थे. चुनाव बीता और बीजेपी की जीत हुई तो लंबे समय तक साथ चलने के दावे करने वाले दोनों दलों की राहें भी जुदा हो गईं.
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