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नौकरी छोड़कर चुनाव लड़े IPS और IAS को जनता ने दिया बड़ा झटका

Nilmani Pal
7 Jun 2024 1:35 AM GMT
नौकरी छोड़कर चुनाव लड़े IPS और IAS को जनता ने दिया बड़ा झटका
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यूपी। नौकरशाह Bureaucrat से राजनीतिज्ञ Politician बनने की चाह रखने वालों को यूपी के मतदाताओं ने आमतौर पसंद नहीं किया है। लोकसभा चुनावों में तो एक-दो को छोड़ दें तो नामी-गिरामी नौकरशाह तक को जमानत बचाने तक का वोट नहीं मिला है। इनमें प्रदेश के ऐसे-ऐसे नौकरशाह रहे हैं, जिनकी किसी जमाने में तूती बोलती रही है। मजे की बात यह है कि प्रदेश में ऐसे नौकरशाहों की फेहिरस्त भी अच्छी-खासी है।

2024 के लोकसभा चुनाव में कई नौकरशाह चुनाव मैदान में उतरे लेकिन मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया। इसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी अरविन्द सेन का नाम शामिल है जो माकपा से फैजाबाद से चुनाव लड़े लेकिन बुरी तरह से हार गए। इसी प्रकार पूर्व आईआरएस अधिकारी सुरेश सिंह बसपा के टिकट पर मथुरा से चुनाव लड़े लेकिन तीसरे स्थान पर रहे। पीपीएस अधिकारी रहे एसएन गौतम भी बसपा के टिकट पर कौशाम्बी से चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं सके जबकि पूर्व पीसीएस श्याम सिंह यादव भी अबकि चुनाव हार गए हैं। हालांकि श्याम सिंह यादव 2019 के चुनाव में जीत गये थे।

Lok Sabha Elections पूर्व नौकरशाह में प्रदेश के सबसे चर्चित अधिकारी पीसीएस से आईएएस IAS बने बाबा हरदेव सिंह का नाम प्रमुख है। हरदेव सिंह 2014 में मैनपुरी संसदीय सीट से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए। इसी प्रकार से मायावती की सरकार में एडिशनल कैबिनेट सेक्रेट्री रहे तेज-तर्रार आईएएस अधिकारी विजय शंकर पाण्डेय ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पूर्व लोक गठबंधन पार्टी बनाई थी। उसी वर्ष वे फैजाबाद सीट से चुनाव भी लड़े थे लेकिन बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। मायावती के ही करीबी अधिकारियों में से एक पीएल पुनियां जो 2009 में कांग्रेस के टिकट पर बाराबंकी से चुनाव जीत गये लेकिन उसके बाद 2014 के चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। इससे पूर्व 1972 बैच के आईएएस डा. राय सिंह भी 2004 में कांग्रेस पार्टी की टिकट पर पीलीभीत से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा।

इसी प्रकार और एक-दो नौकरशाहों ने चुनाव में जीत दर्ज की है। इसमें अयोध्या के डीएम रहे आएएस अधिकारी के के नायर का नाम सबसे पहले आता है जो 1967 में बहराइच से सांसद बने। वहीं अयोध्या के ही एसपी रहने के दौरान चर्चा में आए तत्कालीन आईपीएस अधिकारी डीबी राय का नाम भी प्रमुख है, जो दो बार सांसद चुने गये थे।

जन्मदिन पर मिली हार : अन्नामलाई के लिए यह जन्मदिन निराशाजनक साबित हुआ. अन्नामलाई मंगलवार को 40 वर्ष के हो गए. आईपीएस अधिकारी से भाजपा नेता बने अन्नामलाई सुबह एक मंदिर में दर्शन करने गए. लेकिन नतीजे आने शुरू होने के बाद उन्होंने मतगणना केंद्र या पार्टी कार्यालय नहीं जाने का फैसला किया. अन्नामलाई 2021 में तमिलनाडु में भाजपा के अध्यक्ष बने थे. कर्नाटक कैडर के 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी ने 2019 में नौकरी छोड़ दी थी.

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