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शख्स के पास 35 एंटीक कारों का कलेक्शन, एक पर गांधी जी ने भी की थी सवारी, पढ़े पूरी खबर

jantaserishta.com
19 Sep 2021 2:11 AM GMT
शख्स के पास 35 एंटीक कारों का कलेक्शन, एक पर गांधी जी ने भी की थी सवारी, पढ़े पूरी खबर
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एंटीक कारों का कलेक्शन...

रांची. इतिहास से प्रेरणा लेकर भविष्य को सफल बनाना ही वर्तमान की सार्थकता है. जी हां ऐतिहासिक धरोहरों को समेटने की कला ही यादों को जिंदा रखती हैं. रांची के रहने वाले आदित्य विक्रम जायसवाल ने विरासत में मिली 35 एंटीक ऐतिहासिक कारों को सहेज कर इतिहास को जिंदा रखने में कामयाबी हासिल की है.

रांची के लालपुर में आदित्य विक्रम जायसवाल का बंगला कई ऐतिहासिक धरोहरों का साक्षी रहा है. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की नींव 1940 के रामगढ़ अधिवेशन में पड़ी थी. जिसको लेकर महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री और मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे कई महान शख्सियत उस दौरान रांची पहुंचे थे. ऐसे में उन सभी के रांची से रामगढ़ जाने का इंतजाम इसी घर के मालिक राय साहब लक्ष्मीनारायण जयसवाल जी ने किया था. यूपी के जमालपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राय साहब लक्ष्मीनारायण जयसवाल ने उस दौरान अपनी 35 एंटीक कारों की रेंज में से अपनी सबसे यूनिक कार लाल रंग की Model 1927 A Ford निकाली थी. और इसी कार की ड्राइविंग सीट पर खुद बैठे थे राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल. और उनकी बगल वाली आगे की सीट पर बैठे थे खुद देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी.
35 एंटीक कारों की लिस्ट में एक से बढ़कर एक बेहतरीन ऐतिहासिक कारें हैं, जो उस समय की लग्जरियस कारों की याद दिलाती हैं. इनमें Model 1927 A Ford, Model 1926 चेवरोलेट
Model 1924 सिएट मॉर्लिग प्रिंसेस, प्लाईमाउथ 1926 मॉडल, फोर्ड model 1929 tourer
Wolsely 1922 model, Model 1932 mercedes-benz शामिल हैं.
अपनी ऐतिहासिक कारों की देखभाल के लिए जायसवाल परिवार ने कई लोगों को भर्ती कर रखा है.
कार के इस बेड़े में एक कार बेहद खास है. इस कार ने अपने समय में लग्जरियस कारों की दुनिया में तहलका मचा दिया था. इस कार का नाम है Model 1932 की mercedes-benz. इसकी आज की कीमत बाजार में 4 crore आंकी जाती है. इस कार ने 1986 में कोलकाता में आयोजित स्टेट्समैन रैली में इंडियन ऑयल ट्रॉफी जीती थी.
राय बहादुर लक्ष्मी नारायण जायसवाल के पौत्र मनोरंजन जायसवाल बताते हैं कि विरासत में मिली सभी कारें उनके लिए बेहद खास हैं. और पुरखों ने किसी भी कार को बेचने की इजाजत अगली पीढ़ी को नहीं दी है. क्योंकि यह सभी कार उनके परिवार के लिए भी शुभ मानी जाती हैं. घर में कोई भी मांगलिक कार्य इन्हीं कारों के सफ़र से शुरू किया जाता है.
इन तमाम कारों की मरम्मत और मेंटेनेंस के लिए बकायदा एक पूरी टीम काम करती है. और समय-समय पर गाड़ियों के जरूरी पार्ट्स बदले जाते हैं. बकायदा इसके लिए उन्हीं कंपनियों के कल पुर्जे विदेशों से मंगवाए जाते हैं.
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