हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी (IGMC Shimla) में न्यूरो सर्जरी विभाग ने जागते हुए मरीज के दिमाग (Brain Surgery) का सफल ऑपरेशन किया है. डाक्टरों का दावा है कि हिमाचल में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन हुआ है. आज से पहले मरीजों को इस तरह का ऑपरेशन करवाने के लिए प्रदेश से बाहर जाना पड़ता था जिस पर 5 से 7 लाख रुपए खर्च होता था. अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक व न्यूरो सर्जन डॉ. जनक ने बताया कि मरीज के बांए हिस्से में टयूमर था. बीमारी की जगह और ऑपरेशन की जटिलता के चलते मरीज के दाएं पैर व बाजू के साथ बोलने की क्षमता खोने का डर था. लेकिन अवेक करेनोटॉमी तकनीक ये ऑपरेशन आसानी से हो गया.
डॉ. जनक ने कहा कि कोरोनाकाल में जहां पूरी दुनिया कोरोना के निपट रही थी, वहीं आईजीएमसी प्रशासन की टीम ने अस्पताल में दी जाने वाली सुविधाओं का भी विस्तार किया है. अस्पताल में इस दौरान इमरजेंसी लैबोरेट्री के साथ सुपरसपेशल्टी कोर्स शुरू किए हैं. न्यूरो सर्जन डॉ. जनक ने कहा कि ये ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा है. इसके लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है. इस ऑपरेशन के दौरान मरीज बात भी कर रहा था. अस्पताल की ओर से जारी वीडियो में साफ है कि मरीज को हाथ उठाने के लिए कहा गया तो वो हाथ उठा रहा था. वहीं जीभ बाहर निकालने के लिए कहा तो जीभ भी निकाली. डॉक्टरों की एक टीम मरीज के ब्रेन का ऑरपेशन कर रहे थे.
डॉक्टरों का दावा है कि इस तकनीक के शुरू होने के बाद न्यूरो सर्जरी के दौरान या बाद में एक साइड के सुन्न होने और जुबान बंद होने का खतरा कम हो जाएगा. डॉ जनक राज ने बताया कि हिमाचल में पहली बार आईजीएमसी शिमला में बिना बेहोश किए एक 42 वर्षीय मरीज का ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन किया गया. यह ऑपरेशन 25 अगस्त को हुआ, जबकि 5 महीने पहले से आईजीएमसी में मरीज उपचार चल रहा था. ऑपरेशन से पहले मरीज को एक हफ्ता पहले एडमिट किया गया ताकि उसे ऑपरेशन के लिए तैयार किया जा सके. डॉ. जनक राज ने बताया कि प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हिमकेयर लोगों के लिए वरदान साबित हुई है जिससे लोगों का आसानी से उपचार किया जा रहा है. बीते कोरोना काल से प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में कई तरह के ऑपरेशन किए गए हैं जिनमें किडनी ट्रांसप्लांट से लेकर दिमाग का ऑपरेशन करना एक बड़ी उपलब्धि है. अब प्रदेश के मरीजों को प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा.