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श्रीनगर: 'मेरे दादाजी ने एक घर लिया था, ये घर पिताजी के नाम पर ट्रांसफर हो गया था, लेकिन 1989 में जब कश्मीरी पंड़ितों का पलायन होने लगा, हमारे सपनों का घर हड़प लिया गया. सारी संपत्ति छीन ली. हमसे कहा गया कि प्रॉपर्टी के दस्तावेज फर्जी हैं. कितनी हैरानी की बात है कि मुझे अब उस संपत्ति के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी, जिसका मैं असली हकदार हूं'. ये कहना है राजिंदर गंजू का. बता दें कि राजिंदर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम के रहने वाले थे.
दरअसल, बीते साल जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक वेब पोर्टल लॉन्च किया था. कहा गया था कि विस्थापित कश्मीरी पंडित कश्मीर घाटी में अवैध रूप से कब्जे वाली अपनी संपत्तियों की शिकायत इस पोर्टल पर दर्ज करा सकते हैं. साथ ही सरकार ने दावा किया कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों की पीड़ा कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. मसलन, सैकड़ों कश्मीरी पंडितों को उनकी संपत्ति वापस मिल गई है, लेकिन विस्थापित लोगों का कहना है कि उनकी शिकायतों पर सरकार ने कोई भी संतोषजनक कदम नहीं उठाया है.
अपनी पीड़ा बताते हुए राजिंदर गंजू कहते हैं कि संपत्ति पर मालिकाना हक साबित करने की जिम्मेदारी उस पर नहीं है जिसने कब्जा किया, बल्कि उन्हें दस्तावेज पेश करने होंगे और तमाम तरह की कवायदें करनी होंगी जो उस प्रॉपर्टी के सही मालिक हैं.
गंजू कहते हैं कि जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से शुरू किया गया पोर्टल कश्मीरी पंडितों की संपत्तियों को वापस दिलाने की दिशा में सही कदम है. लेकिन ये पोर्टल मेरी मदद कैसे कर सकता है. हम लोगों के लिए रोजाना कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाना कठिन काम है. मैं अपनी संपत्ति का मालिक हूं. ये साबित करना कितना दर्द भरा है. उन्होंने आरोप लगाया कि रिकॉर्ड में राजस्व अधिकारियों ने गड़बड़ी की है.
बता दें कि राजिंदर गंजू अकेले नहीं हैं जिन्होंने अधिकारियों पर रिकॉर्ड को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आऱोप लगाया हो. क्योंकि ऐसे ही आरोप श्रीनगर के रहने वाले जवाहर लाल और राजेश भट ने भी लगाए हैं.
जवाहर लाल और राजेश भट ने कहा कि कुछ राजस्व अधिकारियों की सांठगांठ से 1990 में हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया था. उन्होंने आऱोप लगाया कि राजस्व अधिकारियों ने धोखाधड़ी से दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की. हमने सरकार के पोर्टल पर शिकायत की. वर्तमान संभागीय आयुक्त ने मामले की जांच की. उन्होंने संबंधित आरोपियों पर प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दिए हैं.
उन्होंने कहा कि जांच में 12 कनाल और 3 मरला की भूमि की वसूली के लिए भी कहा है. ट्रिब्यूनल कोर्ट ने हमारे पक्ष में आदेश दिया है. हमारी जमीन अभी सरकार के अधीन है. मामला हाईकोर्ट में है. लेकिन हमें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि हमें अपनी ही जमीन वापस हासिल करने के लिए तमाम कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा.
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