अधिकारी ने कोर्ट में कहा - जान का खतरा था, इसलिए नहीं कर सके चुनाव में धांधली का विरोध
बंगाल। पश्चिम बंगाल में हाल में संपन्न हुए पंचायत चुनावों को लेकर एक पीठासीन अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में कहा कि अपनी जान को खतरा होने के कारण वह चुनावी कदाचार को रोकने में असमर्थ रहे। मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा-II ब्लॉक में एक चुनाव बूथ पर पीठासीन अधिकारी, कोलकाता के केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक सुमित पांडे ने कोर्ट में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा के समक्ष एक हलफनामे में यह स्वीकार किया।
कोर्ट सीपीआई (एम) उम्मीदवार नसीमा बेगम की दोबारा चुनाव की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इससे पहले न्यायमूर्ति सिन्हा ने पीठासीन अधिकारी सुमित पांडे से मतदान के दिन जो कुछ हुआ उसे एक हलफनामे में दर्ज करने के लिए कहा। हलफनामे में पांडे ने कहा, ''जहां वह पीठासीन अधिकारी थे, वहां उपद्रवियों ने दोपहर 12 बजे तक बूथ पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया। उन्होंने सीसीटीवी कैमरा तोड़ दिया, मतपत्र छीन लिए और एक विशेष चुनाव चिन्ह पर बड़े पैमाने पर मुहर लगाना शुरू कर दिया।"
पांडे ने यह भी कहा कि उस दौरान बदमाशों ने उनके सहित मतदान अधिकारियों को लगातार किसी भी प्रतिरोध की स्थिति में गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। उन्होंने हलफनामे में कहा कि मतदान अधिकारियों के मोबाइल फोन छीन लिए गए ताकि वे घटना की रिपोर्ट करने के लिए सेक्टर कार्यालय से संपर्क न कर सकें। कदाचार समाप्त होने और मतपेटियां सील होने के बाद उपद्रवियों ने उनसे जबरन रिपोर्ट में लिखवाया कि मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही। बता दें कि राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के लिए हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में हिंसा के दौरान कुल 55 लोग मारे गए थेे।