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उत्तर प्रदेश का गोरखपुर जिला नेपाल से सटा हुआ है. यह क्षेत्र कोशल के प्रसिद्ध राज्य का एक हिस्सा था
उत्तर प्रदेश का गोरखपुर जिला नेपाल से सटा हुआ है. यह क्षेत्र कोशल के प्रसिद्ध राज्य का एक हिस्सा था. छठवीं सदी में 16 महाजनपदों में से एक था. गोरखपुर के नाम का इतिहास 2600 साल पुराना है. अब तक गोरखपुर का नाम 8 बार बदला जा चुका है. वहीं हर नाम के पीछे एक खास रोचक कहानी भी है. जनपद का वर्तमान नाम अंग्रेजों की देन है तो वही औरंगजेब की बेटे मोअज्जमशाह के नाम पर भी इसका नाम मुअज्जमाबाद रखा जा चुका है. वर्तमान में गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जिला है.
दुनिया को अपने योग से परिचित कराने वाले गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर अंग्रेजों ने 1801 में गोरखपुर नाम कर दिया था. 9वीं शताब्दी में गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर इसका नाम गोरक्षपुर रखा गया था. लेकिन अलग-अलग समय में इस शहर का नाम बार-बार बदलता रहा.
मुगल काल में फिर हुआ सूब-ए-शर्किया
मुगल काल के दौरान जौनपुर में जब सर्की शासन की राजधानी बनाई गई तो वहीं गोरखपुर का नाम फिर बदल गया. अब यह सूब-ए-सर्किया कहलाया. फिर कुछ समय बाद इसका नाम अख्तर नगर भी कर दिया गया.
औरंगजेब के बेटे के नाम पर गोरखपुर हुआ मुअज्जमाबाद
मुगल शासक औरंगजेब का बेटा मुअज्जमशाह शिकार का बहुत शौकीन था. एक बार वह गोरखपुर के क्षेत्र में शिकार खेलने के लिए गया था. इस दौरान उसने वहां पर कुछ समय भी बिताया. इसी दौरान इस शहर का नाम मुअज्जमाबाद कर दिया गया.
चौरी-चौरा की घटना के चलते चर्चित रहा गोरखपुर
आजादी के आंदोलन के दौरान गोरखपुर में चौरी-चौरा की 4 फरवरी, 1922 की घटना हुई थी. पुलिस अत्याचार से गुस्साए 2000 लोगों की एक भीड़ ने चौरी-चौरा का थाना ही फूंक दिया. जिसमें 19 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई. इस हिंसा की घटना के बाद महात्मा गांधी ने अपना असहयोग आंदोलन यकायक स्थगित कर दिया.
इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश में ही हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन नाम का एक देशव्यापी प्रमुख क्रान्तिकारी दल गठित हुआ. जिसने 9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड करके ब्रिटिश सरकार को खुली चुनौती दी. इस घटना के प्रमुख सरगना राम प्रसाद 'बिस्मिल' को गोरखपुर जेल में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय भाग लेने के लिये फासी दे दी गई थी.
2600 सालो के दौरान गोरखपुर का नाम 8 बार बदला-
रामग्राम – छठी शताबदी ईसा पूर्व
पिप्पलीवन-तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व
गोरक्षपुर-नौवीं शताब्दी
सूब-ए-सर्किया-13वीं, 14वीं शताब्दी
अख्तरनगर-14वीं शताब्दी के बाद किसी कालखंड में
गोरखपुर सरकार-17वीं शताब्दी से पूर्व किसी कालखंड में
मोअज्जमाबाद-17वीं शताब्दी में
गोरखपुर-1801
गोरखपुर के दर्शनीय स्थल
रामगढ़ ताल – गोरखपुर में 1700 एकड़ के विस्तृत भू-भाग में रामगढ़ ताल स्थित है. यह पर्यटकों के लिए अत्यंत आकर्षक केंद्र है. वर्तमान में सरकार के प्रयासों से यहां पर जल क्रीड़ा केंद्र, नौकाविहार, बौद्ध संग्रहालय, तारा मंडल, चंपादेवी पार्क विकसित किए गए हैं, जो कि इसके दर्शनीय स्थल हैं.
गोरखनाथ मंदिर- गोरखपुर की नेपाल रोड पर स्थित नाथ संप्रदाय के संस्थापक परम सिद्ध गुरु गोरखनाथ का अत्यंत सुंदर भव्य मन्दिर स्थित है. यहां हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी-मेला का आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं. यह एक महीने तक चलता है.
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