बिहार। मुजफ्फरपुर में कोर्ट ने हत्या के मामले में 37 साल बाद बड़ा फैसला सुनाया है. साल 1986 में दोषियों ने पिता के सामने ही बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी थी. पुलिस ने दोषियों के खिलाफ संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी. कोर्ट ने अब आठ दोषियों को सजा सुनाई है.
दरअसल, 1986 में मुजफ्फरपुर के बरुराज थाना क्षेत्र में एक युवक की हत्या की गई थी. यहां विशुनपुर होरिल गांव में आपसी विवाद के चलते कुछ लोगों ने बैद्यनाथ चौधरी के बेटे विनोद चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बैद्यनाथ चौधरी ने राजदेव तिवारी, जितेंद्र, कमलेश्वर, शिवचंद्र, अशोक और बजरंगी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. वहीं, दूसरे पक्ष ने भी बैद्यनाथ चौधरी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. इसके बाद पुलिस ने दोनों पक्षों की तरफ से एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी.
लोक अभियोजक संगीता शाही ने बताया कि इस मामले में आठ लोगों ने कोर्ट में गवाही दी थी. दोनों पक्षों की तरफ से मामला दर्ज कराया गया था. इस वजह से केस इतना लंबा चला. जज नमिता सिंह ने 37 साल बाद आठ दोषियों को इस मामले में सजा सुनाई. कोर्ट ने मारपीट और जानलेवा हमला करने के मामले में तीन दोषियों को सात साल की जेल और 26 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. इसमें विशुनपुर के रहने वाले उमेश चौधरी उर्फ प्रमोद चौधरी, रमेश चौधरी और विरेंद्र चौधरी शामिल हैं.
वहीं, पांच दोषियों शिवचंद्र चौधरी (94), जितेंद्र तिवारी (77), कमलेश्वर चौधरी (75), अशोक चौधरी (65) और बजरंगी तिवारी (71) को कोर्ट ने आजीवन कारावास और 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया. साथ ही आर्म्स एक्ट के तहत तीन साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया. दोनों सजा साथ-साथ चलेंगी.