यूपी। 22 अक्तूबर की रात लखनऊ के जानकीपुरम भिठौली के पास पुलिस की मुठभेड़ में घायल हुए बदमाश कमलेश तिवारी की केजीएमयू गांधी वार्ड में मौत हो गई। बाएं पैर में पुलिस की गोली लगने के बाद से ही उसका इलाज चल रहा था।
शुक्रवार को उसकी मौत हो गई। पत्नी का आरोप है कि सही ढंग से कमलेश का इलाज नहीं हुआ। जिसकी वजह से उसकी तबीयत बिगड़ गई। मां का आरोप है कि मौत के बाद पुलिस ने आनन-फानन में पोस्टमार्टम के बाद शव का अंतिम संस्कार करा दिया। कमलेश के शव को घर भी नहीं लाने दिया गया। वहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत इंफेक्शन फैलने का पता चला।
ठाकुरगंज दौलतगंज निवासी कमलेश तिवारी के खिलाफ शहर के अलग-अलग थानों में लूट के 32 मुकदमे दर्ज थे। 21 अक्तूबर को कमलेश ने साथी अब्बास के साथ मिल कर जानकीपुरम में रास्ता पूछने के बाद शैलबाला से चेन लूटी थी। पुलिस बदमाशों को तलाश रही थी। 22 अक्तूबर की रात जानकीपुरम भिठौली क्रासिंग के पास चेकिंग कर रही पुलिस टीम पर कमलेश ने फायरिंग की थी। जवाबी कार्रवाई में बाएं पैर में गोली लगने से वह घायल हुआ था। पत्नी रुमी तिवारी के मुताबिक तीन नवंबर को कमलेश का ऑपरेशन हुआ था। जिसके बाद से ही उसकी तबीयत खराब थी। आरोप है कि इलाज में लापरवाही बरते जाने की वजह से कमलेश की मौत हुई है।