उत्तराखंड में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए 19 अप्रैल को सीएम तीरथ सिंह ( Tirath Singh) ने विभागों में प्रशासनिक और अनुकंपा के आधार को छोडक़र शेष सभी तरह के ट्रांसफर पर रोक लगा दी थी. ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए उत्तराखंड के इतिहास में सबसे अधिक निशाने पर रहे शिक्षा जैसे बड़े विभागों ने इसका पालन करते हुए रुटीन ट्रांसफर भी रद्द कर दिए, लेकिन इस बीच वन विभाग में स्वेच्छा और जनहित को आधार मानते हुए गुरुवार को 14 रेंजर और आठ अन्य कर्मचारियों के ट्रांसफर कर दिए गए. सभी ट्रांसफर स्वेच्छा और जनहित को आधार बताते हुए किए गए हैं. जबकि आदेश में स्पष्ट है कि प्रशासनिक और अनुकंपा के आधार को छोडक़र अगले आदेश तक कोई भी ट्रांसफर नहीं होंगे.
वन विभाग के प्रमुख राजीव भरतरी और एचआरडी हेड मनोज चंद्रन के आदेश से सरकारी आदेश के विपरीत 22 ट्रांसफर कर दिए गए. वन विभाग की इस कारस्तानी ने अन्य विभागों के लिए भी रास्ते खोल दिए हैं. वन विभाग में ट्रांसफर किए जाने का मामला प्रकाश में आते ही अन्य विभागों के कर्मचारी संघों में रोष फैल गया. राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री सोहन माजिला का कहना है कि जब वन विभाग में ट्रांसफर हो सकते हैं, तो अन्य विभागों में क्यों नहीं. शिक्षा विभाग में तो सैकड़ों कर्मचारी ट्रांसफर एक्ट के तहत भी ट्रांसफर के हकदार थे.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. प्रीतम सिंह का कहना है कि ये बीजेपी की सरकार है, कहती कुछ है करती कुछ है. मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री अलग-अलग दिशाओं में भागते हैं. प्रीतम सिंह का कहना है कि सरकार के मंत्री अपने ही मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं, लेकिन, वन मंत्री हरक सिंह को इन ट्रांसफरों में कुछ भी गलत नजर नहीं आता. हरक सिंह का कहना है कि इन स्थानों पर जगह खाली थी, लिहाजा जिनके प्रमोशन हुए उनको खाली स्थानों पर भेज दिया. हरक सिंह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि अनपढ़ लोगों को समझ में नहीं आएगा कि ट्रांसफर क्यों हुए ?