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कपल की ओर से सुरक्षा मांगे जाने का मामला, हाई कोर्ट ने कही ये बात, जानें पूरा मामला
jantaserishta.com
24 Aug 2022 9:01 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
नई दिल्ली: मुस्लिम लड़की यदि युवावस्था को प्राप्त कर चुकी है तो वह परिजनों की अनुमति के बिना भी किसी से शादी कर सकती है। मुस्लिम कानूनों के मुताबिक उसे इसकी अनुमति है, भले ही युवती नाबालिग ही क्यों न हो। दिल्ली हाई कोर्ट ने मुस्लिम लड़की और उसके पति की ओर से सुरक्षा मांगे जाने के मामले की सुनवाई करते हुए यह बात कही है। जस्टिस जसमीत सिंह ने सुनवाई के दौरान कहा, 'यदि लड़की ने यौवन को प्राप्त कर लिया है तो फिर वह अपने परिजनों की मंजूरी के बिना ही मुस्लिम लॉ के तहत शादी कर सकती है और अपने पति के साथ रह सकती है। भले ही वह नाबालिग ही हो। उसके पति पर पॉक्सो के नियम लागू नहीं होंगे।'
बेंच ने कहा कि यदि किसी लड़की ने अपनी मर्जी से शादी की है और वह अपने पति के साथ खुश है तो फिर प्रशासन उनके निजी दायरे में दखल नहीं दे सकता। अदालत ने 11 मार्च को शादी करने वाले कपल की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। युवती के परिजनों का कहना था कि उनकी बेटी की उम्र 15 साल ही है, जबकि उसने जिस युवक से शादी की है, वह 25 साल का है। अदालत ने कहा कि इन लोगों के फैसले में दखल देना उनके निजी दायरे में अतिक्रमण करने जैसा होगा। लड़की के परिजनों ने 5 मार्च को द्वारका जिले में आईपीसी के सेक्शन 376 और पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि युवक ने बेटी का अपहरण किया है और उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए हैं।
इसके बाद कपल ने उच्च न्यायालय में अप्रैल में अर्जी दाखिल की थी और सुरक्षा की मांग की थी। दोनों का कहना था कि हमें कोई भी अलग नहीं कर सकता है। सुनवाई के दौरान युवती के वकील ने अदालत में उसका आधार कार्ड पेश किया, जिसके मुताबिक उसकी आयु 19 साल है। वकील ने कहा कि युवती प्रेगनेंट है और वह अपनी मर्जी से युवक के साथ गई थी और दोनों ने शादी कर ली है। लड़की ने कहा कि उसके परिजन अकसर उसकी पिटाई करते थे। किसी और लड़के से शादी के लिए दबाव डाला जा रहा था। पुलिस ने 27 अप्रैल को लड़की को बरामद कर लिया था।
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