उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती का मामला, बड़ा निर्णय ले सकती है योगी सरकार
उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण की अनियमितता को लेकर काफी लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. सूबे में ओबीसी वोटों के सियासी समीकरण को देखते हुए बीजेपी 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस मामले का हल तलाशने में जुट गई है. विपक्षी दल इस मुद्दे के बहाने योगी सरकार को आरक्षण विरोधी बताकर कठघरे में खड़ा करने में जुटे है, जिसे देखते हुए बीजेपी इस संबंध में बड़ा निर्णय ले सकती है.
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को एनडीए की बैठक में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के सामने अपना दल (एस) की अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने शिक्षक भर्ती मुद्दे को उठाया और इसे मामले का जमीनी स्तर पर होने वाले सियासी नुकसान से अवगत कराया. सूत्रों की मानें तो बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जल्द इस पर समाधान निकालने का आश्वासन दिया. नड्डा ने कहा कि इस मामले में एक महत्वपूर्ण बैठक हो चुकी है और जल्द ही उचित निर्णय लिया जाएगा.
शिक्षक भर्ती पर ओबीसी आयोग सख्त
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण नियमों का पालन नहीं होने पर यूपी की योगी सरकार से जवाब मांगा था. पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना है कि साल 2019 में हुई शिक्षक भर्ती में ओबीसी के हाई मैरिट वाले छात्रों को सामान्य कैटिगरी में जगह नहीं दी गई है. ऐसे में सामान्य वर्ग के 40 फीसदी छात्रों की शिक्षक भर्ती में जगह मिल गई. इसी मुद्दे को लेकर काफी समय से लखनऊ में ओबीसी और दलित समुदाय के छात्र आंदोलन कर रहे हैं. बता दें कि शिक्षक भर्ती आंदोलन सिर्फ 69000 छात्रों के आरक्षण तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह पिछड़े वर्गों में बीजेपी के आरक्षण विरोधी छवि बनती जा रही है. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ ओबीसी के छात्र लगातार धरना प्रदर्शन और घेराव कर रहे हैं. इसके चलते सूबे में ऐसा माहौल बन रहा है कि मानो बीजेपी सरकार में पिछड़ी जातियों का हक मारा जा रहा है.