CJI ने वकील को Court से बाहर निकलने की दी नसीहत, जानिए क्या है पूरा माजरा
दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने मंगलवार को एक वकील को फटकार लगाई। वकील CJIचंद्रचूड़ के समक्ष सर्वोच्च न्यायालय के एक अन्य न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत लेकर पहुंचा था। वकील की दलील थी कि जनहित याचिका के लिए जुर्माने की सजा हटाने की मांग लेकर वह अदालत पहुंचा था। अधिवक्ता ने दावा किया कि मैं केवल जुर्माना लगाने के आदेश को वापस करने की मांग कर रहा था और जज इसके बजाय मुझे अदालत से बाहर जाने को कहा और लाइसेंस रद्द करने की धमकी की। उस पर जनहित याचिका को लेकर 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। वकील की दलील सुनने के बाद सीजेआई वकील पर भड़क गए। उन्होंने कहा कि अब मेरा सब्र टूट रहा है... अगर अदालत के आदेश से व्यथित हो तो पुनर्विचार याचिका दायर करो।
अधिवक्ता अशोक पांडे मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के न्यायालय में पहुंचे और दावा किया कि जज ने उनका लाइसेंस निलंबित करने की धमकी दी है। वकील के आचरण से व्यथित होकर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में अंतर-न्यायालय अपील की सुविधा नहीं है। उन्होंने कहा, "यदि आप अदालत के किसी आदेश से असंतुष्ट हैं, तो आपके पास समीक्षा याचिका का विकल्प है। इस न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश बहुत अनुभवी हैं और उनके पास वकील के रूप में भी दशकों का अनुभव है।"
पांडे ने कहा कि जनहित याचिका दायर करने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने उन पर जुर्माना लगाया है । उन्होंने पीठ से कहा, "मैं केवल जुर्माना लगाने के आदेश को वापस लेने की मांग कर रहा था, लेकिन इसके बजाय न्यायाधीश ने मुझे अदालत कक्ष से बाहर जाने को कहा और यहां तक कि धमकी दी कि मेरा लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।" सीजेआई चंद्रचूड़ ने पांडे से कहा कि उनका धैर्य खत्म होने लगा है। उन्होंने कहा, "मैं काफी समय से आपकी बात सुन रहा हूं और अब मेरा धैर्य जवाब देने लगा है। मैं समझ सकता हूं कि अन्य अदालतों में क्या होता होगा? कृपया आप कानून के अनुसार काम करें।" बाद में पांडे ने कहा कि यदि अदालत याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाएगी तो जनहित याचिका प्रणाली कैसे काम करेगी। चीफ जस्टिस ने बाद में कहा कि कभी-कभी अदालतों में मामले बढ़ जाते हैं और न्यायाधीशों तथा पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक हो जाती है, लेकिन शीर्ष अदालत के न्यायाधीश अनुभवी हैं और जानते हैं कि ऐसी स्थितियों से कैसे निपटना है।
गौरतलब है कि अशोक पांडे को इससे पहले दिन में दो अदालतों ने फटकार लगाई। जिसमें न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ भी शामिल है। न्यायमूर्ति ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने पांडे को "बेबुनियाद" याचिका दायर करने के लिए उन पर लगाए गए 50,000 रुपये के जुर्माने को जमा न करने के लिए फटकार लगाई और उन्हें दो सप्ताह के भीतर यह राशि जमा करने का निर्देश दिया। पीठ में न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे, जिन्होंने धनराशि जमा करने के लिए और समय दिए जाने के पांडे के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।