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चुनाव के पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त सामान बांटने के वादे करने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने वाली याचिका पर निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है. आयोग ने फ्री में सामान बांटने को लेकर परिभाषा, दायरा और अन्य बातें तय करने की बाबत विशेषज्ञ समिति बनाने का स्वागत किया है.
लेकिन आयोग ने कई तर्कों के आधार पर खुद के इसमें शामिल होने की मजबूरी बताई है. आयोग ने कहा है कि फ्री का सामान या फिर अवैध रूप से फ्री का सामान की कोई तय परिभाषा या पहचान नहीं है. ये अस्पष्ट है. आयोग में विधि प्रकोष्ठ के निदेशक विजय कुमार पांडे की ओर से दायर इस 12 पेज के हलफनामे में कहा गया है कि देश काल और परिस्थिति के मुताबिक कोई चीज एक जरूरत है तो दूसरी ओर वही मुफ्त बांटने की श्रेणी में आ जाती है. प्राकृतिक आपदा में भोजन, पानी, आवास, इलाज बुनियादी जरूरत है लेकिन सामान्य समय में लालच या मुफ्तखोरी.
आयोग ने वोट देकर सरकार बनाने के बाद मुफ्त सामान के चुनावी वादे के मामले पर प्रस्तावित आर्थिक विशेषज्ञ समिति मे शामिल होने की पेशकश पर ECI का कहना है कि संवैधानिक निकाय होने के नाते समिति में उसका रहना निर्णय पर प्रभाव डाल सकता है. ECI का कहना है कि वर्तमान कानूनी ढांचे में मौजूद मुफ्त की योजनाओं के लिए कोई सटीक परिभाषा नहीं है.
EC ने कहा हैं कि मुफ्त की योजना का समाज की स्थिति और प्रकृति,अर्थव्यवस्था, इक्विटी की स्थिति, समय आदि के आधार पर अलग-अलग उसका प्रभाव हो सकता हैं.
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