फाइल फोटो
केंद्र और हरियाणा सरकार लोगो को एचआईवी एड्स के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान के तहत करोड़ों रुपए खर्च करती है. इस अभियान के तहत लोगो को जागरूक किया जाता है कि एड्स छूने से नहीं फैलता, लेकिन लोग फिर भी जागरूक नहीं हो रहे है, जिसका खामियाजा एचआईवी एड्स पीड़ित मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. ऐसी ही एक मामला पानीपत से सामने आया है जहाँ पर पीडिता महिला को अपने ससुराल से यातनाएं मिली और घर से निकाल दिया गया. ससुराल पक्ष द्वारा महिला को घर से बाहर निकल देने के बाद रहने के लिये छत की गुहार लगाने के लिए जिला महिला प्रोटेक्शन अधिकारी के पास पहंची.
जानकारी के अनुसार, पानीपत की एचआईवी एड्स पीड़ित महिला की 7 साल पहले गोहाना रोड में एक कॉलोनी में शादी हुई थी. जब पीड़ित महिला की शादी हुई तब उसकी उम्र 20 साल की थी. पीड़िता ने बताया कि सब कुछ ठीक चल रहा था कि मुझे पेट में दर्द रहने लगा था. तबीयत खराब रहने लगी थी। ससुराल वाले मुझे दवाई दिला कर लाते थे और कई बार इंजेक्शन भी लगाते थे. इस दौरान गर्भवती हो गई. गृभ धारण होने के दौरान मेरा इलाज पानीपत के सामान्य हॉस्पिटल में चलने लगा. इस बीच 3 महीने का गर्भ गिर गया, क्योकि बच्चे की धड़कन बंद हो गई थी. पानीपत के सिविल हॉस्पिटल में जब टेस्ट करवाया तो मुझे एचआईवी पॉजिटिव बताया गया. यह सुन एक बार तो हैरान व परेशान हो गई.
पीड़िता ने बताया कि तब मैंने अपने पति को कहा था कि अभी छोड़ना है छोड़ दो बाद में मत छोड़ना, लेकिन तब पति ने कहा था नहीं मैं रख लूंगा. लेकिन कुछ समय बाद ससुराल वाले मुझे तंग करने लगे खाना नहीं देते थे. रसोई में काम करने नहीं देते थे. मेरे साथ अक्सर ऐसा व्यवहार करने लगे कि जैसे मुझे कोई छुआछात की बीमारी हो. पीड़िता ने बताया कि ससुराल वाले व पति मेरे साथ मारपीट करते गाली-गलौज करते थे. पीड़ित महिला ने कहा कि मैं शादी नहीं करना चाहती थी. पढ़ना चाहती थी. लेकिन मेरे पति ने कहा कि शादी के बाद भी तुम पढ़ सकती हो. लेकिन ससुराल लोगों ने मुझे पढ़ने नहीं दिया. तब मैंने 12वीं पास की जेबीटी की और बीए की पढ़ाई घर रह की. पीड़िता ने बताया कि एनजीओ में काम करती हूं. मेरी सुविधा को देखते हुए मुझे ऑनलाइन काम दे रहे हैं. पीड़ित ने कहा कि जब तक जीवन है मेरी जीवन में सफल होना चाहती हो कुछ बनकर दिखाना चाहती हूं.