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पत्नी की लिंग जांच कराने का आदेश देने की गुहार, पति ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

jantaserishta.com
23 Oct 2024 6:02 AM GMT
पत्नी की लिंग जांच कराने का आदेश देने की गुहार, पति ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
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सांकेतिक तस्वीर

जानें पूरा मामला.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में एक अजीब अर्जी दाखिल हुई है जिसमें एक व्यक्ति ने कोर्ट से अपनी पत्नी की लिंग जांच कराने का आदेश दिए जाने की गुहार लगाई है. दरअसल, शख्स का कहना है कि उसे लग रहा है कि उसकी शादी धोखे से ट्रांसजेंडर युवती से कराई गई है.ऐसे में वह कभी भी न तो बच्चा पैदा कर सकेगा और न ही अपने परिवार को बढ़ा पाएगा.
शख्स ने याचिका दायर कर अपनी पत्नी का लिंग परीक्षण कराने के लिए केन्द्र सरकार के अस्पताल में उसकी चिकित्सा जांच कराने का अनुरोध किया है.उसका दावा है कि शादी से पहले उससे ये बात छुपाई गई कि उसकी होने वाली पत्नी एक ट्रांसजेंडर है. इस छल कपट से उसे मानसिक सदमा लगा है.ऐसे में उसकी शादी अधूरी और इललीगल है.
शख्स के वकील अभिषेक कुमार चौधरी और जितेन्द्र कुमार तिवारी ने दलील दी कि जानकारी छिपाए जाने के चलते ही युवक के खिलाफ कई झूठी कानूनी कार्रवाई हुई हैं. इनमें घरेलू हिंसा और दहेज कानून के तहत भी आरोप लगाए गए हैं. याचिका में जीवन और सम्मान के मौलिक अधिकारों के बीच बैलेंस बनाने के महत्व को हाईलाइट किया गया है.संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया गया है कि विवाह में दोनों पक्ष निष्पक्षता और पारदर्शिता के हकदार हैं.
याचिका में कहा गया है कि यूं तो जेंडर की पहचान बहुत निजी मामला है लेकिन शादी के मामले में यह पति-पत्नी दोनों के अधिकारों को अफेक्ट करता है. पति ने तर्क दिया कि उसकी पत्नी को भरण-पोषण, या महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से बनाए गए कानूनों के तहत आरोप लगाने का अधिकार नहीं है क्योंकि वह इन कानूनों के तहत 'महिला' के रूप में योग्य ही नहीं है.
याचिका में कहा गया है, 'शख्स अपनी पत्नी की मेडिकल जांच का खर्च वहन करने के लिए तैयार है और अगर जरूरत पड़ी तो वह खुद की भी मेडिकल जांच कराने को तैयार है.युवक ने पहले ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी पत्नी के लिंग की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग की थी.हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी.अब, वह हाईकोर्ट से इस मामले में दखल देने की गुहार लगा रहे हैं.उनका कहना है कि जांच के उनके अधिकार से समझौता किया जा रहा है.लेकिन न्याय के लिए ये मेडिकल जांच जरूरी है.
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