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हाईकोर्ट ने रायपुर स्थित "इदारा-ए-शरिया" इस्लामी कोर्ट के फैसले और पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है

jantaserishta.com
21 Feb 2022 4:42 PM GMT
हाईकोर्ट ने रायपुर स्थित इदारा-ए-शरिया इस्लामी कोर्ट के फैसले और पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है
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बिलासपुर: शरीयत इस्लामी कोर्ट द्वारा दिये गए तीन तलाक के फैसले को एक मुस्लिम महिला ने याचिका दायर कर चुनौती दी है. महिला ने कहा मैं हिंदुस्तानी हूं, मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन एक्ट 2019 में तीन तलाक देना एक अपराध है, मैं भारत देश के संविधान को मानती हूं. हाईकोर्ट ने पीड़ित महिला की याचिका को स्वीकार करते हुए रायपुर स्थित "इदारा ए शरिया" के तीन तलाक के फैसले और शरीयत कोर्ट की पूरी प्रक्रिया पर पूरी तरह से रोक लगा दिया हैं. इसके अलावा हाईकोर्ट जस्टिस माननीय पी सेम कोशी के सिंगल बेंच ने केंद्र शासन, राज्य शासन, इस्लामी कोर्ट और महिला के शौहर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

दरअसल याचिकाकर्ता मुस्लिम महिला ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एडवोकेट देवर्षी ठाकुर के माध्यम से एक याचिका दायर कर कहा कि उसके शौहर ने उसे तीन बार लिखित में तलाक दे दिया. मामला रायपुर स्थित "इदारा ए शरिया" इस्लामी कोर्ट गया. वहां इस्लामी कोर्ट ने इस तीन तलाक की सुनवाई कर फैसला सुनाते हुए तलाक को मंजूरी दे दिया. प्रकारण के मुताबिक रायपुर के इदारा-ए-शरीया इस्लामी कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पति ने गवाहों की मौजूदगी में अपनी पत्नी को तीन तलाक दिया है. तीन तलाक दिए जाने की तारीख से दोनों एक दूसरे के लिए हराम हो गए हैं. जबकि 2019 देश से ट्रिपल तलाक कानून के बाद धारा 4 मुश्लिम वुमेन प्रोटेक्शन एक्ट के तहत तीन तलाक अपराध है.
महिला ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कहा कि मैं देश के संविधान को मानती हूं, इस तीन तलाक और इस्लामी कोर्ट के फैसले को नहीं मानती. मामलें में महिला द्वारा दायर याचिका को आज हाईकोर्ट जस्टिस पी सेम कोशी के सिंगल बेंच ने स्वीकार कर लिया है. हाईकोर्ट ने शरीयत इस्लामी कोर्ट के फैसले और पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दिया है. साथ ही राज्य शासन, केंद्र शासन, इस्लामी कोर्ट "इदारा ए शरिया'' और महिला के शौहर को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है.
वहीं पीड़ित महिला के एडवोकेट देवर्षी ठाकुर ने यह भी बताया कि यह तो आश्चर्य की बात है कि राजधानी रायपुर में इस तरह का इस्लामी कोर्ट स्थापित है. इसकी जानकारी होने पर भी अबतक इस पर राज्य शासन द्वारा कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई? जिस वजह से पीड़िता को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी.

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